अंतिम दिनों में बदली सी नजर आई थी नीरज की दिनचर्या

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सिर्फ बिछुड़ने के लिए है ये मेल-मिलाप, एक मुसाफिर हम यहां एक मुसाफिर आप। ऐसी पंक्तियां लिखने वाले गोपाल दास नीरज को अंतिम दिनों में अपनी दीर्घायु अखरने लगी थी। उन्होंने एक हफ्ते पहले अपने घर में रह रहे अन्य लोगों को बिना बताए ही एक पत्र डीएम को लिखा और स्वयं ही उसे पोस्ट करने गए। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक पत्र में लिखा था कि अब मैं जिंदगी से तंग आ गया हूं। मुझे हाई डोज (दवा की ज्यादा मात्रा) दे दी जाए।
गीतकार नीरज ने एक हफ्ते पहले डीएम को लिखा था पत्र

नीरज के देखभाल करने वाले और नजदीकी रहे लोगों का कहना है कि उन्हें कुछ समय से पूर्वाभास हो गया था, जिसके बाद उन्होंने ऐसा प्रदर्शित करना शुरू किया कि वह कहीं यात्रा पर जा रहे हों और सभी से मिलना, कुशल क्षेम पूछना आदि शुरू कर दिया था। यही कारण था कि वह अपनी देखभाल में लगे लोगों से कहते कि उन्हें दवा की ज्यादा मात्रा दे दी जाए। जब नीरज से कहा जाता कि यह ठीक नहीं है। कोई तकलीफ है तो डॉक्टर को बताएं सब ठीक हो जाएगा।

तो वह कहते कि मुसाफिर भी लंबे सफर के बाद थक जाता है और उसे नींद आ जाती है। यह नींद ही उसे आराम पहुंचाती है। मेरी भी यात्रा बहुत लंबी हो गई है। देखरेख में लगे लोग कहते हैं कि अक्सर नीरजजी सर्दी या गर्मी के दिनों में सुबह शाम बरामदे में रखे तख्त पर आकर समय बिताते थे। प्रत्येक दिन सुबह पांच बजे उठना और स्नान आदि करके बरामदे में बैठना उनके नित्य कर्म में शामिल था। यहीं पर दोपहर का खाना खाना और उसके बाद अंदर कमरे में जाकर विश्राम करते। शाम के समय वह कुछ देर के लिए बरामदे में बैठते लेकिन पिछले कुछ दिनों से वह अंदर कमरे में ही थे। कमरे से बाहर ही नहीं आए थे।

गोपालदास ‘नीरज’ पर विशेषांक छापेगा केंद्रीय हिंदी संस्थान
केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा प्रख्यात गीतकार गोपालदास ‘नीरज’ पर अपनी पत्रिका का विशेषांक छापेगा। पुस्तिका भी प्रकाशित कर सकता है। साथ ही संस्थान में संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो. नंदकिशोर पांडेय ने कहा कि उसमें प्रस्तुत होने वाले पेपरों को पत्रिका या पुस्तिका में जगह दी जाएगी। संस्थान की ओर से ‘मीडिया’, ‘गवेषणा संचयन’ और ‘गवेषणा’ पत्रिकाएं प्रकाशित की जाती हैं। ब्यूरो

मेडिकल कॉलेज में पहुंचने वाला 7वां शरीर होगा नीरज का
अलीगढ़। एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज में पहुंचने वाला गोपालदास नीरज का 7वां शरीर होगा। अब तक छह लोगों ने देवताओं की प्राण रक्षा के लिए अस्थि दान करने वाले महर्षि दधीचि की तरह अपना शरीर दान कर चुके हैं। जेएन मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी (शरीर रचना विज्ञान) विभाग के अध्यक्ष प्रो. नफीस अहमद फारूकी ने बताया कि मेडिकल साइंस के विद्यार्थियों को दान में प्राप्त शरीर से प्रैक्टिकल एक्सरसाइज कराये जाते हैं।

प्रो. केपी सिंह ने शुरू की थी देहदान की परंपरा
प्रख्यात साहित्यकार प्रो. केपी सिंह ने अलीगढ़ में देहदान की परंपरा की शुरुआत की थी। मरणोपरांत नवंबर 2009 में उनका शरीर जेएन मेडिकल कॉलेज को दान किया गया था। यह संयोग है कि एएमयू के एनआरएससी क्लब में प्रो. केपी सिंह के निधन एवं देहदान के तीन दिन बाद विशाल शोक सभा का आयोजन किया गया था, जिसमें पद्मभूषण गोपालदास नीरज भी शामिल हुए थे।

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