अंधेरी रात में नेता के घरों भेजी जाती थीं लड़कियां, खुलासा होने के बाद CM इस्तीफा…

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उत्तराखंड ।। हमारे देश की कानून व्यवस्था के हालात कैसे है, यह तो सभी जानता है। यह न्याय का मतलब है सुबूत अगर आप के पास सुबूत नही है और आप सही भी हो तो आप पर कोई विश्वास नहीं करेगा। कुछ ऐसा ही हुआ था आज से कुछ साल पहले जम्मू कश्मीर की पुलिस ने ऐसा दावा किया था कि जिस्म फरोसी के धंधे का भंडाफोड़ दिया।

मामला लगभग 10 साल चला और नतीजा क्या निकला आप खुद ही पढ़ लीजिए। मामला 2006 अगस्त का था, जम्मू पुलिस को किसी एक दिन एक एमएमस आया जिसमें एक नाबालिग लड़की ने जिस्मफरोसी के धंधे का पूरी कहानी बताई और साथ अपील भी की थी कि उसे इस नर्क से बचा लेने के लिए।

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पुलिस ने इस बात पर तुरंत एक्शन लिया और उस नाबालिग बताये जगह पर छापा मार दिया। बात सच्ची निकली और फिर एक के बाद सब परते हटती गई। उसमें एक महिला का नाम सामना आया जिसका नाम सबीना जो लड़कियों को प्रदेश मंत्रियों और आला-अधिकारियों सप्लाई करती थी। पुलिस अधिकारियों ने कुछ लोग जो इसमे शामिल थे उसे पकड़ा और फिर यह केस सीबीआई के अंडर में चला गया। अब सीबीआई ने फिर से जांच शुरू की और अब बहुत सी बातें।

सामने आने लगी। लगभग 37 लोगो से पूछताछ हुई, और आरोपियों के नाम सामने आने लगे।इसके चपेट में बड़े बड़े नेता सब आने लगे। पूर्व उपमुख्यमंत्री, पिपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता मुज्जफर बेग ने दावा किया कि इस केस में उमर अब्दुल्ला सीरियल नंबर 102 हैं। लेकिन सीबीआई ने उमर अब्दुल्ला का नाम नही लिया था। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी।

जब उमर अब्दुल्ला के ऊपर ऐसे इल्ज़ाम आये तो उन्होंने इस्तीफा देने की बात कह डाली और अपनी सफाई पेश करने के लिए वह राज्यभवन पहुँचे अपना इस्तीफा साथ लेकर लेकिन उनका इस्तीफा राज्यपाल ने मंजूरी नही दी। लेकिन फिर भी उन्होंने कहा जब तक वह निर्दोष साबित नही हो जाते वह इस कुर्सी से दूर रहेंगे।

बात कोर्ट में पहुँची और कहा गया सिर्फ एक महिला के बयान पर कैसे राज्यव्यवस्था को ध्वस्त किया जा सकता है। सिर्फ एक नाबालिग का सबूत काफी नही था इसके बाद सीबीआई ने जो कुछ सबूत बनाकर लोगों को सामने लाये उन्होंने भी गवाही अपनी पलट दी और कहा कि उन्हें सीबीआई जबरदस्ती डरा धमकाकर कोर्ट तक लायी हैं।

इस पर सीबीआई के वकील सुमित गोयल ने कहा कि ‘अभियुक्त और अभियोजन पक्ष अब एक-दूसरे के साथ मिल चुके हैं।’ लेकिन इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा और अंत में 29 सितंबर 2012 को जिस्मफरोसी के ठेकेदार होने की आरोपी सबीना और उसके पति अब्दुल हामिद बुल्ला, व एक अन्य शख्स रमन मट्टू को दोषमुक्त करार दिया गया और साथ ही आरोपी जम्मू-कश्मीर के पूर्व प्रमुख सचिव, आईएएस अधिकारी इकबाल खांडे, पूर्व मंत्री गुलाम अहमद को बरी कर दिया गया।

फोटो- फाइल

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