आजकल लोग सोशल मीडिया पर जितना समय बिताते हैं उतना अपनों के साथ नहीं बिताते. ऐसे में ये बात भी सही है कि सोशल मीडिया का असर अब लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ने लगा है. एक हालिया शोध में भी यही परिणाम सामने आए हैं.
शोध में पता चला है कि सोशल मीडिया पर सकारात्मक बातचीत की तुलना में नकारात्मक अनुभव ज्यादा असर डालते हैं. इन नकारात्मक अनुभवों से युवाओं में अवसाद वाले लक्षणों की संभावना बन जाती है.
शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि सोशल मीडिया के नकारात्मक अनुभव अवसाद वाले लक्षणों से जुड़े हैं. निष्कर्षों का प्रकाशन पत्रिका ‘डिप्रेशन एंड एंग्जाइटी’ में किया गया है.
अमेरिका के पीट्सबर्ग विश्वविद्यालय के ब्रायन प्रिमैक ने कहा, ‘हमने पाया है कि सोशल मीडिया के सकारात्मक अनुभव, बहुत आंशिक रूप से कम अवसाद वाले लक्षणों से जुड़े हैं. लेकिन नकारात्मक अनुभव मजबूती से या लगातार उच्च अवसाद के लक्षणों से जुड़े हैं’.
इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने 1,179 पूर्णकालिक छात्रों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल व अनुभव का सर्वेक्षण किया. इनकी आयु 18 से 30 के बीच रही. प्रतिभागियों ने अवसाद वाले लक्षणों के आंकलन के लिए एक प्रश्नावली भी भरी.
शोधकर्ताओं ने पाया कि सोशल मीडिया पर सकारात्मक अनुभव में हर 10 फीसदी की बढ़ोतरी अवसाद के लक्षणों में चार फीसदी की कमी करती है, लेकिन ये परिणाम सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं है, इसका अर्थ है कि यह निष्कर्ष बेतरतीब अवसर की वजह से हो सकते हैं.
शोधकर्ताओं ने कहा कि हर 10 फीसदी नकारात्मक अनुभव में वृद्धि 20 फीसदी अवसाद लक्षणों में वृद्धि से जुड़ी हुई है, यह एक महत्वपूर्ण सांख्यिकीय निष्कर्ष है.