माना जाता है कि विवाह 7 जन्मों का रिश्ता होता है। विवाह को बहुत ही पवित्र माना जाता है। खैर अब 7 जन्मों कि बात तो पुरानी हो चुकी है, यदि प्रेमी जोड़े एक जनम ही अच्छा से बिता लें तो उनका संसार में आना पास हो जाए। बताया जाता है कि शादी-शुदा ज़िन्दगी एक साइकिल की तरह होता है, जिसमें दोनों पार्टनर दो पहिए होते हैं। यदि एक पहिया भी लड़खड़ाया तो बैलेंस बिगड़ जाता है वदोनों गिर पड़ते हैं, इसीलिए दोनों का बैलेंस में होना ज़रूरी है। पिछले कुछ सालों से तलाक के कई केसेस सामने आए हैं। कोई भी इंसान किसी को जान बूझकर धोखा नहीं देना चाहता, लेकिन किसी कारणवर्ष वह ऐसा करता है।
शादी-शुदा ज़िन्दगी में क्लैश की सबसे बड़ी वजह घरेलु हिंसा होती है। यदि शादी-शुदा ज़िन्दगी में घरेलु हिंसा आ जाए तो पार्टनर्स की जीवन में कोई भी तीसरा आदमी सरलता से एंट्री मार सकता है।जहां से भी पार्टनर्स को इमोशनल सपोर्ट मिलता है, वह उसकी तरफ खिंचा चला जाता हैं। इसी कड़ी में आज के ज़माने में महिलाएं किसी पर निर्भर नहीं रहती व उनके लिए उनकी सेल्फ रेस्पेक्ट सबसे ज्यादा महत्व रखती है।
शादी के बाद ज़िंदगियाँ अक्सर बदल जाती है। कार्य के तनाव के कारण पार्टनर्स एक दूसरे को ज्यादा टाइम नहीं दे पाते। कई बार घर में जंग की वजह भी यही होती है। पतियों के पास टाइम ना होने के कारण पत्नियां अकेलापन महसूस करती हैं। व इस अकेलेपन को दूर करने के लिए वह पति की अनुपस्थिति में किसी को भी घर पर बुला लेती हैं।