उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा जारी देहरादून के मास्टर प्लान को निरस्त कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने सरकार पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि जुर्माने की रकम उन अधिकारियों से वसूली जाए जिनकी वजह से मास्टर प्लान को लागू करने में मानकों को पूरा नहीं किया गया है.
बता दें कि एमसी घिल्डियाल ने देहरादून के मास्टर-प्लान 2005 से 2025 को चुनौती दी है. याचिकाकर्ता का कहना है कि मास्टर-प्लान तैयार करते वक्त यूपी मास्टर प्लान और विकास अधिनियम 1973 के प्रावधानों के साथ-साथ केंद्र सरकार की 1988 और 2001 में जारी अधिसूचना का पालन नहीं किया गया जिसमे दून घाटी को इको सेंसटिव ज़ोन घोषित किया गया था.
याचिका में कहा गया है कि दून घाटी में किसी भी परियोजना को लागू करने से पूर्व केंद्र सरकार के वन और पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति लेनी थी जो नहीं मिल सकी. इसके बावजूद मास्टर प्लान को लागू कर दिया गया और इसमें लगभग 124 एकड़ भूमि को खुर्द-बुर्द कर दिया गया.
हाईकोर्ट ने देहरादून के मास्टर प्लान को निरस्त करते हुए इसे दोबारा बनाने के आदेश दिए और पांच लाख रुपये जुर्माना भी लगाया.