नई दिल्ली ।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 नवंबर को MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग) के लिए बड़ी घोषणा की थी। योजना को लागू करने के मौके पर पीएम मोदी ने छोटे उद्योगों को सिर्फ 59 मिनट में 1 करोड़ रुपये तक का लोन देने की बात कही थी। उन्होंने दावा किया था कि इससे ‘इंस्पेक्टर राज’ पर लगाम लगाई जा सकेगी।
साथ ही उद्योग जगत को भी इसका फायदा पहुंचेगा। इसके लिए बकायदा www.psbloansin59minutes.com नाम से डिजिटल प्लेटफॉर्म भी तैयार किया गया है। इसकी जिम्मेदारी भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) को सौंपी गई है। लोन लेने की इच्छा रखने वाले MSME को पहले इस वेबसाइट पर आकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। संबंधित कंपनी को जीएसटी नंबर, आयकर रिटर्न, छह महीने का बैंक स्टेटमेंट और कंपनी के स्वामित्व का ब्योरा देना होगा।
चार श्रेणियों का विवरण देने के बाद लोन जारी कर दिया जाएगा। SIDBI ने इस पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए नई कानूनी इकाई गठित करने का फैसला लिया था। SIDBI ने 22 जनवरी को इस बाबत एक कंसल्टेंट को नियुक्त करने के लिए टेंडर निकाला था। टेंडर में कंसल्टेंट की नियुक्ति के लिए कुछ योग्यताएं भी निर्धारित की गई थीं।
‘स्क्रॉल’ की रिपोर्ट के अनुसार, टेंडर में निर्धारित योग्यताओं को नजरअंदाज करते हुए कंसल्टेंट के तौर पर एक कंपनी को नियुक्त कर दिया गया। बताया जाता है कि इससे सिर्फ एक कंपनी को करोड़ों रुपये का फायदा हुआ।
मापदंड को नजरअंदाज कर कंसल्टेंट की नियुक्ति: SIDBI की ओर से जारी टेंडर में कंसल्टेंट की नियुक्ति को लेकर दो महत्वपूर्ण मानक निर्धारित किए गए थे। इसके मुताबिक, संबंधित कंसल्टेंट फर्म फीस के तौर पर पिछले तीन वर्षों में कम से कम 50 करोड़ रुपये अर्जित किया हो। साथ ही कंपनी 1 अप्रैल, 2012 या उससे पहले से अस्तित्व में हो। कंसल्टेंट के चयन के बाद नई कानूनी इकाई स्थापित की जाएगी।
नई कंपनी में SIDBI और अन्य बैंक बतौर शेयरधारक शामिल होंगे। रिपोर्ट की मानें तो psbloansin59minutes का संचालन नई लीगल कंपनी नहीं कर रही है। दरअसल, अहमदाबाद की कैपिटा वर्ल्ड प्लेटफॉर्म नामक कंपनी इसका कामकाज देख रही है। यह कंपनी वर्ष 2015 में अस्तित्व में आई थी, जबकि SIDBI की ओर से जारी टेंडर में कंसल्टेंट कंपनी को वर्ष 2012 या उससे पहले स्थापित होने की बात कही गई है। कैपिटा वर्ल्ड का गठन विनोद मोढा (वेंचर कैपिटलिस्ट), जिनांद शाह (चार्टर्ड अकाउंटेंट) और अविरुक चक्रवर्ती ने मिलकर किया था।
वित्तीय मानक पर भी फेल: कंसल्टेंट की नियुक्ति को लेकर टेंडर में वित्तीय मानक भी तय किए गए थे। इसके मुताबिक, पिछले तीन वर्षों में संबंधित फर्म की फीस से आय कम से कम 50 करोड़ रुपये होना चाहिए। कैपिटल वर्ल्ड इस मानक पर भी खरी नहीं उतरती है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2016 में कंपनी 38,888 रुपये का नुकसान दिखाया था।
अगले वित्त वर्ष (साल 2016-17) में कंपनी ने 15,680 रुपये का मुनाफा दिखाया था। इस दौरान कंपनी के स्वरूप में भी बदलाव किया गया था। 16 अप्रैल, 2018 में कंपनी का वैल्युएशन किया गया, जिसके मुताबिक कैपिटा वर्ल्ड के एक शेयर की कीमत 129.39 रुपये थी। जुलाई में SIDBI ने 119.39 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 22.5 करोड़ रुपये में 17,43,371 शेयर खरीद लिया था।
कैपिटा वर्ल्ड ने कमाए 82 करोड़ रुपये: psbloansin59minutes वेबसाइट के अनुसार, लोन के इन-प्रिंसिपल मंजूरी के एवज में संबंधित फर्म को 1000 रुपये (टैक्स की राशि अलग से) का भुगतान करना पड़ेगा। यह राशि कैपिटा वर्ल्ड के पास जाएगी, क्योंकि यह कंपनी ही इन-प्रिंसिपल मंजूरी देती है। इसके अलावा लोन जारी होने के बाद संबंधित फर्म को कर्ज की रकम में से 0.35% कैपिटा वर्ल्ड को देना पड़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, पीएम नरेंद्र मोदी की औपचारिक घोषणा के बाद से अब तक 1.69 लाख रजिस्ट्रेशन का दावा किया जा चुका है। इसके अलवा 23,582 करोड़ रुपये के लोन को मंजूरी भी दी जा चुकी है। इसका 0.35% हिस्सा मतलब 82.53 करोड़ रुपये कैपिटा वर्ल्ड के पास गया है।