गृह मंत्री ने कहा कि सुरक्षा बलों को कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाओं अैर हिंसक वारदातों को रोकने केलिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। बीते महीने 17 मई को शांतिप्रिय लोगों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एकतरफा युद्घ विराम का निर्णय लिया था। इस निर्णय का देशभर में स्वागत हुआ। इस दौरान सेना और सुरक्षा बलों ने लगातार संयम का परिचय दिया, मगर आतंकवादियों ने निर्दोष नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमले जारी रखे। इसकी वजह से कई सैनिकों और आम नागरिकों की मौत हुई। अब आतंकियों के पूर्ण खात्मे केलिए शांतिप्रिय वर्ग को साथ देना चाहिए। सरकार जम्मू कश्मीर में आतंक और हिंसा से मुक्त माहौल के निर्माण के लिए अपना प्रयास जारी रखेगी।
दरअसल पहले सरकार की योजना एकतरफा संघर्ष विराम को अमरनाथ यात्रा तक जारी रखने की थी। इसके लिए सरकार ने तैयारी भी कर ली थी। मगर ईद से पूर्व सेना के जवान औरंगजेब और पत्रकार बुखारी की मौत के बाद चौतरफा निशाने पर आई सरकार ने अपना इरादा बदल लिया।
हक में नहीं थी सेना
एकतरफा संघर्ष विराम की तारीख बढ़ाने केहक में सेना भी नहीं थी। सेना का तर्क था कि ऑपरेशन ऑलआउट के बाद कमजोर पड़े आतंकवादियों को इससे नए सिरे से रणनीति बनाने का मौका मिलेगा। सेना के जवान और पत्रकार की मौत के सरकार को सियासी मोर्चे पर हमले का सामना करना पड़ रहा था। इसके अलावा आम जनमानस में भी इस फैसले का विरोध शुरू हो गया था। सियासी मोर्चे पर भी सूबे में इस फैसले का लाभ सिर्फ पीडीपी को मिल रहा था।