कांग्रेस गवर्नमेंट के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी एकजुटता के तहत दिखाई दिए कई नेता

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23 मई को कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस गवर्नमेंट के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी एकजुटता के तहत कई नेता दिखाई दिए एक तरफ जहां बसपा नेता मायावती  सपा नेता अखिलेश यादव एक मंच पर दिखे तो दूसरी तरफ सोनिया गांधी के साथ बीएसपी सुप्रीमो की अलग ही कैमिस्‍ट्री देखने को मिली उसके बाद से ही बोला जाने लगा कि 2019 के चुनावों के लिहाज से भाजपा को रोकने के लिए विपक्षी एकजुटता परवान चढ़ रही है लेकिन अब इसी वर्ष के अंत में मध्‍य प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बोला जा रहा है कि वहां कांग्रेस पार्टी  बसपा का साझेदारी नहीं होगा

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मध्‍य प्रदेश में साझेदारी नहीं
मध्य प्रदेश बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद अहिरवार ने रविवार को बोला कि कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश में साझेदारी को लेकर झूठा प्रचार कर रही है उन्होंने बोला कि कांग्रेस पार्टी के इस झूठे प्रचार से उनकी पार्टी को नुकसान हो रहा है बसपा प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया कि प्रदेश में बसपा 50 से 55 सीटें जीतेगी उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर हमला बोलते हुए बोला कि कांग्रेस पार्टी नेता जनता के बीच जाकर कह रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बसपा के साथ साझेदारी के लिए कांग्रेस पार्टी की वार्ता चल रही है उन्होंने बोला कि मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए साझेदारी के संबंध में राज्य स्तर पर हमारी कोई वार्ता नहीं हो रही है जहां तक मुझे पता है कि केंद्रीय स्तर पर भी कोई वार्ता नहीं हो रही है अहिरवार का बयान ऐसे वक्‍त आया है जब उससे चंद रोज पहले कांग्रेस पार्टी अध्‍यक्ष राहुल गांधी की इफ्तार पार्टी में बसपा के वरिष्‍ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा उपस्थित हुए थे

2013 के विधानसभा चुनावों में मध्‍य प्रदेश की 230 सीटों में से कांग्रेस पार्टी  बसपा को क्रमश: 36.38%  6.29% वोट मिले थे सत्‍ताधारी भाजपा को 44.88 फीसदी वोट मिले थेइस तरह भाजपा को 165 सीटें, कांग्रेस पार्टी को 58, बसपा को 4  निर्दलीयों को तीन सीटों पर कामयाबी मिली थी

सूत्रों के मुताबिक मध्‍य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के साथ बसपा के साझेदारी नहीं होने का कारण यह माना जा रहा है कि दरअसल बसपा इस तरह कांग्रेस पार्टी के साथ राज्‍यवार साझेदारीके पक्ष में नहीं है वह जिन राज्‍यों में निर्बल है, वहां भी कांग्रेस पार्टी के साथ सौदेबाजी कर साझेदारी के तहत चुनाव लड़ना चाहती है इसका सीधा सा मतलब अधिक सीटों पर कामयाबी हासिल करना है

सपा के साथ भी पेंच
अब अगर उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो मई के अंत में कैराना उपचुनाव में सपा, बीएसपी  कांग्रेस पार्टी के समर्थन से रालोद की प्रत्‍याशी विजयी हुईं अखिलेश यादव से लेकर सबने भाजपा को परास्‍त करने के मंसूबे जताए लेकिन बीएसपी सुप्रीमो ने ‘रहस्‍यमयी’ चुप्पी अख्तियार कर ली उसके बाद आकस्मित अखिलेश यादव ने बीएसपी के साथ 2019 के लोकसभा चुनाव में साझेदारी जारी रखने का संकेत करते हुए बोला कि वे भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है सपा अध्यक्ष अखिलेश ने कहा, ‘बसपा के साथ हमारा साझेदारी 2019 में जारी रहेगा, अगर हमें कुछ सीटें छोड़नी, तो भी हम इसके लिए तैयार हैं हमारा मकसद भाजपा की पराजय सुनिश्चित करना है ‘

अखिलेश ने रविवार (10 जून) को मैनपुरी में आयोजित एक जनसभा में बोला ”समाजवादियों का दिल बड़ा है अगर दो चार सीटें आगे पीछे करनी होंगी  त्याग करना होगा तो करेंगे ” उन्होंने बोला कि अब बीजेपी को चिंता है कि हम इस कार्य को कैसे करेंगे हम अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ इस कार्य को करेंगे, जो उनके (बसपा कार्यकर्ताओं) साथ खड़े रहेंगे उन्हें योगदान करेंगे ” उसके बाद अखिलेश यादव ने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया लेकिन उनमें बीएसपी की तरफ से कोई नहीं गया इसके भी सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं

बीएसपी का दांव
सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से बसपा अकेले 45 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है बाकी 35 सीटें वह सपा के लिए छोड़ना चाहती है रालोद  कांग्रेस पार्टीके लिए भी उसकी सोच है कि सपा इनके लिए अपने कोटे से सीटों की व्‍यवस्‍था करे अखिलेश के मैनपुरी में दिए बयान को इसी कड़ी में जोड़कर देखा जा रहा है सियासी विश्‍लेषकों के मुताबिक इस तरह की सख्‍त सियासी सौदेबाजी के जरिये बसपा 2019 के लिहाज से विपक्षी महागठबंधन की स्थिति में अपने लिए अधिक से अधिक सीटें चाहती है ताकि इसके जरिये 50 सीटों पर कामयाबी हासिल की जा सके ऐसा होने की स्थिति में मायावती राष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपनी बड़ी किरदार देख रही हैं अपने मकसद को हासिल करने के लिए फिल्हाल बसपाके दांवपेंच को सियासी सौदेबाजी के रूप में देखा जा रहा है

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