मलबा हटाने का कार्य अभी भी जारी है। और पुलिस की टीमें मिलकर लगातार बचाव अभियान चला रही हैं। अभी तक हादसे में मरने वाले नौ लोगों के शवों को मलबे से निकाला जा चुका है। प्रशासन के मुताबिक अभी भी मलबे में कई शवों के दबे होने की संभावना है। इसी को लेकर बचाव काम तेजी से किया जा रहा है। वहीं इस हादसे से सबक लेते हुए प्राधिकरण व प्रशासन ने इलाके में गैरकानूनी इमारतों को लेकर अभियान चलाने की योजना बनाई है।
अभियान के तहत ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी समेत 40 गांवों में प्राधिकरण गैरकानूनी इमारतों का सर्वे कराएगा। सर्वे में यह पता लगाया जाएगा कि इलाके में कुल कितने गैरकानूनी फ्लैट बने हुए हैं। जिस जमीन पर फ्लैट बनाए गए हैं, वह प्राधिकरण की जमीन है व किसानों की आबादी वहां बसी है। किसानों को आबादी की जमीन पर आवास के लिए सिर्फ ढाई मंजिल मकान बनाने का अधिकार है। इससे अधिक ऊंचाई की इमारतों को गैरकानूनी घोषित किए जाने की तैयारी है। सर्वे के बाद गैरकानूनी इमारत बनाने वालों के विरूद्ध थाने में मामला दर्ज कराया जाएगा। सर्वे टीम को उन लोगों के नामों की पहचान के आदेश दिए गए हैं।
दरअसल, कालोनाइजर व छोटे बिल्डर किसानों से सस्ती दर पर जमीन खरीदकर गैरकानूनी फ्लैटों का निर्माण करते हैं। प्राधिकरण से नक्शा पास नहीं कराया जाता है। इतना ही नहीं किसी भी इमारत का नक्शा आर्किटेक्ट से सत्यापित नहीं कराया जाता है। लोगों को भ्रमित करने के लिए जनसुविधाएं देने के नाम पर सपने दिखाए जाते हैं। फ्लैट बिकने के बाद खरीदार को जनसुविधा के नाम पर कोई सुविधा नहीं दी जाती है।
सरकार ने इस दर्दनाक हादसे पर दुख जताया है व मृतकों के परिवारवालों को दो-दो लाख रुपये के मुआवजे का एलान किया गया है। बिल्डिंग हादसे के बाद अब तक पांच लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, जिनके विरूद्ध NSA लगेगा। हादसे को लेकर एक व बात सामने आई है। गैरकानूनी निर्माण के विरूद्ध मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी गई थी। बड़ी बात ये है कि CM को चिट्ठी लिखे जाने के बाद भी गैरकानूनी निर्माण पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।