जब डीएसपी साहब ने मुझसे पूछा कि इतनी पतली क्यों हो क्या अब तक किसी से संबंध नहीं बनाया है ? तो मुझसे….”

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पटना. न्यू पुलिस लाइन की महिला सिपाहियों ने लाइन डीएसपी मो. मसलेहउद्दीन के खिलाफ राज्य महिला आयोग में लिखित शिकायत करते हुए कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। आरक्षियों ने डीएसपी पर छुट्टी के बदले शारीरिक संबंध बनाने का दबाव देने का आरोप लगाया है।

आरक्षियों ने मामले की जांच करने वाले पदाधिकारी पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि घटना के मूल कारण को दबा दिया गया। महिला सिपाहियों के साथ पुलिस लाइन में हर रोज दुर्व्यवहार होता था।

डीएसपी और उनके कारिंदे नवनियुक्त महिला आरक्षियों से अश्लील बातें करते थे। छोटी-छोटी बातों पर गंदी गालियां सुनने को मिलतीं थीं। काम करने के एवज में शारीरिक संबंध बनाने के लिए बाध्य किया जाता था।

आरक्षियों का कहना है कि हमे प्रशिक्षण दिए बिना ही सड़क पर उतार दिया गया था। यह बताया ही नहीं गया कि किसके साथ कैसा व्यवहार करना है? हमने वही किया जो विभाग ने कहा था। वो कौन लगती है तुम्हारी, कहकर भगा दिया हमें।

आरक्षियों ने कहा कि डेंगू से एक आरक्षी सविता की मौत हो गई। सविता की मौत के बाद वे सभी न्यू पुलिस लाइन परिसर स्थित लाइन डीएसपी मो. मसलेहउद्दीन के घर गईं और राजकीय सम्मान के साथ शव को विदा करने का आग्रह किया।लेकिन डीएसपी ने भगा दिया और कार्यालय में आने को कहा।

उनकी बात मानकर जब हम डीएसपी के कार्यालय कक्ष में गए तो जवाब मिला कि ये कौन लगती है तुम लोगों की? भागो और ड्यूटी पर जाओ। डीएसपी मां-बहन की गालियां देने लगे।

विभाग से हमे बताया गया था कि कोई दुर्व्यवहार करे तो सिर पर मारो, हमने वही किया। इसमें कुछ गलत नहीं है। बर्खास्त महिला आरक्षियों के समर्थन में उनकी साथी भी आई थीं।

उन्होंने मामले की पूरी जांच को गलत ठहराया। कहा कि पदाधिकारियों ने दोषियों को बचा लिया और राज्य सरकार को गलत रिपोर्ट भेज कर निर्दोष नवनियुक्त आरक्षियों पर कार्रवाई की।

महिला आरक्षियों ने मामले की जांच करने वाले पदाधिकारियों पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है। कहा कि, जांच पदाधिकारी ने उनका बयान दर्ज नहीं किया। आखिर इतना बड़ा बवाल क्यों हुआ? इसकी जड़ तक नहीं पहुंचे और अफसरों ने अफसर को बचा लिया। निर्दोष और असहाय नवनियुक्त आरक्षियों पर गाज गिरा दी।

यही हाल उनके साथ तब होता था, जब वे छुट्टी या किसी अन्य काम के लिए बड़े अधिकारियों के पास जाती थीं, उनकी समस्या सुनना तो दूर की बात है, ऑफिस के बाहर घंटों बैठे रहने के बाद भी अधिकारी मुलाकात नहीं करते थे। हर जगह से निराशा ही मिलती थी।

महिला आरक्षियों का कहना है कि वे डीएसपी और उनकी शह पर कूदने पर पुलिसकर्मियों की अश्लील हरकतों से ऊब चुकी थीं। छुट्टी हो या कोई और काम, डीएसपी गाली देकर चैंबर में बुलाते थे।इतना ही नहीं, हर बात पर डीएसपी निजी अंगों की तरफ इशारा करके अश्लील बातें कहते थे। कहते, ड्यूटी खत्म होने के बाद फोन करना, तब तुम्हारा दोनों काम कर देंगे।

”मैं बीमार थी। गिनती के समय हाजिर नहीं हो पाई। यह बात डीएसपी साहब और संबंधित मुंशी को भी पता थी। फिर भी, मुझे बुलाया गया। मैं खड़े रहने की स्थिति में नहीं थी। मुझे चैंबर में बुलाकर बोला गया कि बीमार हो तो क्या, मर जाओगी? जब मर जाओगी, तो पांच लोगों को बुलाकर लाश फेंकवा देंगे।”

”गिनती में नहीं पहुंचने पर मुझे कहा गया कि चैंबर में आओ। मैं आने में असमर्थ थी। जबरन मुझे चैंबर में लेकर गए। कहा कि, किस लिए छुट्टी ली। मैं कहा – सर, विशेष अवकाश में हूं, इसलिए ज्यादा देर तक खड़ी नहीं रह सकती। तब मुझसे कहा गया कि विशेष अवकाश ऐसे नहीं मिलता। पीरियड्स का वीडिया बनाकर दो और इसके बाद ठहाका मारकर हंसने लगे।”

”डीएसपी साहब ने मुझसे पूछा कि इतनी पतली क्यों हो? अब तक किसी से संबंध नहीं बनाया है क्या? तो मुझसे बनाओ। शरीर ठीक हो जाएगा तुम्हारा। मेरे पास सब तरह का इलाज है।”

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणी देवी ने कहा है कि महिला आरक्षियों ने जो आरोप लगाए हैं वो जघन्य अपराध की श्रेणी में आते हैं।प्रथमदृष्ट्या ऐसा प्रतीत होता है कि मामले की सही तरीके से जांच नहीं हुई। इस मामले को गंभीरता से लिया गया है। डीजीपी से हर बिंदु पर बारीकी से जांच कर रिपोर्ट मांगी जाएगी।

मामले में राज्य महिला आयोग की सदस्य ऊषा विद्यार्थी ने कहा है कि बर्खास्तगी का फैसला सही नहीं है।अधिकारी ही अधिकारी के खिलाफ जांच करेंगे तो धांधली और एकपक्षीय कार्रवाई होगी। महिला आरक्षियों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले डीएसपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इस मामले की जांच किसी दूसरी एजेंसी से कराई जाए।          

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