माउंट एवरेस्ट के आठ हजार 848 मीटर लंबे रास्ते में पर्वतारोही अपने टेंट, बेकार हो चुके उपकरण, खाली गैस सिलिंडर और यहां तक कि मानवीय अपशिष्ट भी छोड़ आते हैं।
18 बार एवरेस्ट की चढ़ाई करने वाले पेम्बा दोरजे शेरपा ने कहा, ‘यह बहुत बुरा है। आंखों में चुभता है।’ स्थिति तो यह है कि पहाड़ पर टनों की मात्रा में कचरे पड़े हैं। एवरेस्ट पर चढ़ने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
साथ ही वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी से पिघल रहे हिमनदों के साथ-साथ ये कचरे भी उभर कर आ रहे हैं। भले ही कचरा कम करने के प्रयास किए गए हैं। सागरमाथा प्रदूषण नियंत्रण समिति के अनुसार साल 2017 में नेपाल के पर्वतारोही करीब 25 टन कचरा और 15 टन मानवीय अपशिष्ट नीचे लेकर आए थे। इस मौसम में इससे भी ज्यादा कचरा नीचे लाया गया है। लेकिन यह प्रत्येक साल वहां जमा होने वाले कचरे का मात्र हिस्सा भर है।
पहाड़ पर टनों की मात्रा में कचरा पड़ा है जिसमें दिन-ब-दिन बढ़ोतरी हो रही है। रिपोर्ट की मानें तो इस वर्ष अब तक कम से कम 600 लोग चोटी तक पहुंच चुके हैं। पांच साल पहले नेपाल ने नियम बनाया था कि पर्वत पर चढ़ने वाली प्रत्येक टीम को करीब ढाई लाख रुपये जमा करने होंगे। जो पर्वतारोही अपने साथ कम से कम आठ किलोग्राम कचरा लाएगा उसे यह राशि वापस कर दी जाएगी।