पढ़ना-लिखना सीखो, ओ वोट देने वालों

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आप लोगों ने एक जिंगल जरूर सुना होगा। ये कुछ यूँ था-पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों….मैं इसकी शब्दावली थोड़ी सी बदलता हूँ। इसे अब यूँ पढ़ें- पढना-लिखना सीखो, ओ वोट देने वालों। आंखें बंद करके नहीं आंखें खोलकर चलने में खतरे कम होते हैं। मैं आज पुनः देश की कुछ सच्चाई से आपको रूबरू कराना चाहता हूँ। बहुत सी खबरें इस वक्त मीडिया के बिखेर हुए घरानों के द्वारा या तो आप तक पहुँच नहीं रही हैं या वो अंडर प्ले की जा रही हैं।

आरंभ करते हैं हाल ही में “ग्लोबल हंगरी इंडेक्स ” यानी CHI की हालिया रिपोर्ट का। यह खबर बड़े मीडिया प्लेटफार्म पर दबा दी गई। मंदिर, हिंदू-मुसलमान के खेल में भुखमरी पर आई यह रिपोर्ट चैनलों/बड़े अखबारों में चर्चा का विषय नहीं बनी। विगत चार सालों में भुखमरी का ग्राफ देश में तेजी से बढ़ा है।

वर्ष 2014 में जब मोदी जी सत्ता में आए थे तो देश भुखमरी की लिस्ट में 55वें स्थान पर था, 2015 में विकास की रफ्तार ऐसी हुईं कि भारत की वर्ल्ड रैंकिंग 80,वर्ष 2016 में 97, वर्ष-2018 में 103 पहुँच गई। चीन की रैंकिंग-25वीं, बांग्लादेश की-86वीं, म्यांमार की 68वीं और नेपाल की रैंकिंग-72 रही। हमारे लिए खुशी की बात केवल यह हो सकती है कि पाकिस्तान हमसे तीन पाया नीचे 106वीं रैंकिंग पर है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स का आरंभ वर्ष 2006 में हुआ था। इसकी शुरूआत इंटरनेशनल फूड पाॅलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने की थी। वेल्ट हंगर लाइफ नाम की एक जर्मन संस्था ने 2006 में पहली बार ग्लोबल हंगरी इंडेक्स जारी किया था।

आइए भारतीय पासपोर्ट के रूतबे पर भी नजर डालते हैं। HENTEY PASSPORT INDEX हर साल विश्व के तमाम देशों के पासपोर्ट की हैसियत या रूतबे पर रिपोर्ट पेश करता है। इसमें यह देखा जाता है कि किसी देश के पासपोर्ट से बिना वीजा कितने देशों में जाया जा सकता है। आपको यह जानकर दुख होगा कि भारतीय पासपोर्ट के सहारे केवल 55 देशों में ही बिना वीणा जा सकते हैं, इन 55 देशों में चार-पांच को छोड़ दें तो ज्यादातर एशिया व अफ्रीका के छोटे-मोटे देश हैं। जबकि हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने एक बार कहा था कि भारतीय पासपोर्ट फिर उठाकर चलने लगा है, उनकी बदौलत। मां बदौलत! हकीकत एकदम उलट है। भारतीय पासपोर्ट का स्थान 76वां है। जर्मन के पासपोर्ट से आप 117 देशों में, सिंगापुर पासपोर्ट से 176 में, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, इटली, जापान, नार्वे, स्वीडन व ब्रिटेन के पासपोर्ट से आप विश्व के 175 देशों में बिना वीणा जा सकते हैं। पासपोर्ट रूतबे की सूची में माल्या जैसा छोटा दान नौवें और हंगरी 10वें नंबर है। भारतीय पासपोर्ट का स्थान 76वां है।

अभी सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है. इसमें लिखा गया है कि मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने विश्व बैंक से कर्जा लेकर अपनी जेबें भर लीं. नरेंद्र मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं, उन्होंने विश्व बैंक से कोई कर्ज नहीं लिया है।

अब जरा सोशल मीडिया पर वायर की जा रही एक फर्जी आंकडेबाजी की सच्चाई भी जांच लें। इसमे कहा जा रहा है कि मोदी सरकार ने विश्व बैंक और आईएमएफ से एक पैसे का लोन नहीं लिया। कृपया गूगल पर जाएं और world bank loan to india टाइप करें। सारा झूठ नंगा हो जाएगा। भारत और विश्व बैंक के मध्य 2 फरवरी, 2018 को एक करार हुआ। इस करार के अनुसार विश्व बैंक ने भारत को वाराणसी-हल्दिया के बीच 1360 किमी का जलमार्ग बनाने के लिए 375 मिलियन डॉलर (करीब 251 अरब रुपये) का कर्ज दिया है। इस अनुबंध पर भारत के वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के जॉइंट सेक्रेटरी समीर कुमार खरे, इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी के उपाध्यक्ष प्रवीर पांडेय व भारत में विश्व बैंक के डायरेक्टर जुनैद अहमद ने हस्ताक्षर किए हैं।
मोदी सरकार से विश्व बैंक से कब-कब कितना कर्ज लिया उसका विवरण निम्नवत् है-

(1) 23 जनवरी 2018 को उत्तराखंड में पानी की सप्लाई के लिए 120 मिलियन डॉलर (करीब 8 अरब रुपये) का कर्ज लिया गया।

(2)31 जनवरी 2018 तमिलनाडु के गांवों की हालत सुधारने के लिए 100 मिलियन डॉलर (6.5 अरब रुपये) का कर्ज लिया गया।

(3)24 अप्रैल 2018 को मध्यप्रदेश के गांवों की सड़कों के लिए 210 मिलियन डॉलर (करीब 14 अरब रुपये) का कर्ज लिया गया।

(4) 8 मई, 2018 को राष्ट्रीय कुपोषण मिशन के तहत 200 मिलियन डॉलर (13.5 अरब रुपये) का कर्ज।

(5) 29 मई, 2018 को राजस्थान में प्रस्तावित विकास योजनाओं के लिए 21.7 मिलियन डॉलर (1.5 अरब रुपये) का कर्ज लिया गया।

(6) अप्रैल 2018 में ही भारत सरकार ने विश्व बैंक से 125 मिलियन डॉलर ((8 अरब 36 करोड़ रुपये) का कर्ज औषधि निर्माण के लिए लिया।

अगर पिछले साल यानी 2017 में-
(1) उत्तर प्रदेश में पर्यटन के विकास के लिए 40 मिलियन डॉलर ((2 अरब 67 करोड़ रुपये) का कर्ज लिया।

(2 ) 21 नवंबर 2017 को सोलर पार्क प्रोजेक्ट के लिए 100 मिलियन डॉलर (6.5 अरब रुपये) का कर्ज।

(3) 31अक्टूबर 2017 को असम में ग्रामीण परिवहन के लिए 200 मिलियन डॉलर (13.5 अरब रुपये) का कर्ज।

(4) 30 जून 2017 को नेशनल बायोफार्मा मिशन के 125 मिलियन डॉलर (8 अरब 36 करोड़ रुपये) का कर्ज लिया गया।

ये चुनिंदा विवरण हैं। यह लिस्ट बहुत लंबी है कृपया बाकी आप वर्ल्ड बैंक की साइड पर जाकर खुद पढ लें।
इसके अलावा international bank for reconstruction and development नाम की एक संस्था है। इसने भी भारत को कुल 52.7 मिलियन डॉलर (3.5 अरब रुपये) का कर्ज दे रखा है. international development association… इससे भी लोन उठाया गया है।

लेखक पवन सिंह वरिष्ठ पत्रकार का संक्षिप्त परिचय–

दैनिक 1989 में नवजीवन से पत्रकारिता की शुरुआत की। दैनिक जागरण, राष्ट्रीय सहारा, हिन्दुस्तान व आऊटलुक में वरिष्ठ पदों पर कार्य किया। 29 पुस्तकें लिखीं जिसमें से चार पुस्तकें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरूस्कृत हुईं। भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा सिक्किम पर अध्ययन हेतु फैलोशिप मिली। माॅरीशस में भारतीय संस्कृति के अध्ययन-अध्यापन हेतु गये। लखनऊ विश्वविद्यालय के पर्यटन अध्ययन संस्थान द्वारा नेपाल व भारत के सांस्कृतिक रिश्तों पर अध्ययन के लिए उन्हें नेपाल भेजा गया। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन का कार्य करते हैं। हाल ही में प्रकाशित किताब “पत्रकारिता की शवयात्रा ” काफी चर्चित रही है।

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