बीजेपी के इन दो वरिष्ठ नेताओं ने पीएम मोदी पर बोला बड़ा हमला, कहा बोफोर्स सौदे से…

img

नई दिल्ली।। बीजेपी के असंतुष्ट नेता यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने पीएम नरेंद्र मोदी पर राफेल डील को लेकर मशहूर वकील प्रशांत भूषण के सुर में सुर मिलाते हुए एक बार हमला बोला है। नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा 36 राफेल लड़ाकू विमान डील का मामला विवादों में घिरता जा रहा है। जहाँ एक तरफ कांग्रेस पार्टी ने राफेल सौदे में अनियमितता का दावा करते हुये कई बार प्रेस-कांफ्रेंस की है, वहीं अब अन्य राजनीतिक दलों के नेता और समाजसेवी भी राफेल डील को लेकर उंगली उठा रहे हैं।

इसी क्रम में बुधवार को मशहूर एडवोकेट प्रशांत भूषण, असंतुष्ट भाजपा नेता यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने दावा किया कि मोदी सरकार ने राफेल डील करके सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान पहुंचाने का काम किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस डील से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का काम किया गया है।

इन तीनों नेताओं ने दावा किया है कि राफेल डील में पारदर्शिता की कमी के साथ-साथ निर्धारित मानदंडों को भी नजरअंदाज करने का काम किया गया है। इन नेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि इस डील के जरिये अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को फायदा पहुंचाने का काम किया गया है।

तीनों नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि 2015 में मोदी सरकार ने फ्रांस दौरे के वक्त जब इस डील का ऐलान किया तब उन्होंने न सिर्फ प्रोटोकॉल को नजरअंदाज किया बल्कि पूर्व की कांग्रेस सरकार (UPA) के कार्यकाल में की गई सस्ती राफेल डील को भी किनारे कर दिया।

इन नेताओं ने दावा किया कि UPA सरकार ने दसॉल्ट के साथ बिडिंग प्रक्रिया के बाद 18 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट खरीदने का समझौता किया। इस समझौते के तहत जहां कंपनी को रेडी टू फ्लाई एयरक्राफ्ट देने के साथ ही केन्द्र सरकार की कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को टेक्नोलॉजी समेत 108 अन्य एयरक्राफ्ट बनाने में मदद देगी। इन तीनों नेताओं ने दावा किया कि UPA सरकार की इस डील से सरकारी खजाने पर महज 40 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ा है।

वहीं पीएम नरेन्द्र मोदी ने जब फ्रांस के साथ यह डील की तो उसने पुरानी डील का संज्ञान नहीं लिया और 36 एयरक्राफ्ट को खरीदने के लिये 60 हजार करोड़ रुपये में समझौता किया। इसमें खास बात यह है कि वर्ष 2015 में की गई इस डील में UPA की डील के तहत HAL द्वारा 108 एयरक्राफ्ट निर्मित कराने पर कोई समझौता नहीं शामिल किया गया। वहीं चौंकाने वाली बात यह है कि वर्ष 2015 में किये गये करार में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के संबंध में भी कोई समझौता नहीं किया गया जिसके चलते सरकारी खजाने को एक तरह से नुकसान पहुंचाने का काम किया गया।

शौरी, भूषण और सिन्हा ने ये भी दावा किया कि संभव है कि केन्द्र सरकार जानबूझकर इस डील पर से पर्दा नहीं उठाना चाहती है। तीनों नेताओं ने कहा कि इस डील से महज एक हफ्ते पहले तत्कालीन केन्द्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने फ्रांस सरकार से 126 फाइटर जेट खरीदने का बयान जारी किया था।

लेकिन हफ्ते भर बाद ही जब खुद पीएम मोदी ने 36 विमान खरीदने का ऐलान फ्रांस के दौरे पर किया तो एक बात पूरी तरह स्पष्ट हो गई कि इस डील के ऐलान से पहले देश के रक्षा मंत्री को डील के संबंध में कुछ नहीं पता था। उन्होंने कहा कि इस सच्चाई से भी यह डील संदेह के घेरे में आती है।

राफेल डील पर NDA सरकार के बयानों में खामी दर्शाने के लिये तीनों नेताओं ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राफेल डील का ऐलान करने से महज 2 दिन पहले तत्कालीन विदेश सचिव एस जयशंकर दो अहम बात की। पहली, कि फ्रांस सरकार के साथ राफेल पर बातचीत में HAL की भी भूमिका है, वहीं प्रधानमंत्री मोदी का फ्रांस दौरा महज दो देशों के नेतृत्व स्तर पर मुलाकात के लिये है। सचिव जयशंकर के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी के दौरे में राफेल समझौते का एजेंडा शामिल नहीं है।

इन तीनों नेताओं ने दावा किया है राफेल डील पर जारी सस्पेंस से स्पष्ट है कि यह डील भी बोफोर्स डील की तर्ज पर संदिग्ध है। इन नेताओं ने दावा किया कि जिस तरह से बोफोर्स डील में कांग्रेस सरकार ने सच्चाई छिपाने की कोशिश की, ठीक उसी तरह राफेल डील में मोदी सरकार सच्चाई पर पर्दा डालने का काम कर रही है।

तीनों नेताओं ने यह भी दावा किया कि राफेल डील में भ्रष्टाचार का स्तर वर्ष 1980 के दशक में हुये बोफोर्स घोटाले के भ्रष्टाचार से काफी बड़ा है और राफेल डील ने बोफोर्स डील से सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान पहुंचाने का काम किया है।

Related News