बुधवार को ऋद्धि-सिद्धी की पूजा करने से गणेश जी होते है प्रसन्न

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भगवान गणेश जी को सभी दु:खों को हरने वाला कहा जाता हैं, अगर किसी पर गणेश जी की कृपा हो जाए तो असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, हिन्दू धर्म के प्रमुख पांच देवी-देवताओं (सूर्य, विष्णु, शिव, शक्ति, गणपति) में भगवान गणेश की उपासना भौतिक, दैहिक व आध्यात्मिक कामनाओं की सिद्धि के लिए सबसे पहले और सबसे श्रेष्ठ मानी गई है, इसका कारण केवल भगवान गणेश के गणाध्यक्ष व मंगलमूर्ति होना ही नहीं बल्कि उनके साथ गणेश जी के परिवार की कृपा भी मिलती है.

शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश की दो पत्नियां ऋद्धि-सिद्धी व पुत्र लाभ व क्षेम बताए गए हैं (इनको लोक परंपराओं में शुभ-लाभ भी कहा जाता है), जहां भगवाहन गणेश विघ्रहर्ता हैं तो उनकी पत्नियां ऋद्धि-सिद्धी यशस्वी, वैभवशाली व प्रतिष्ठित बनाने वाली होती है, वहीं, शुभ-लाभ हर सुख सौभाग्य देने के साथ उसे स्थायी और सुरक्षित रखते हैं, शास्त्रों में ऎसे ही सुख-सौभाग्य की चाहत पूरी करने के लिए बुधवार को गणेश जी पूजन में गणेश जी के साथ ऋद्धि-सिद्धि व लाभ-क्षेम का विशेष मंत्रों से स्मरण बहुत ही शुभ माना गया है. 

गणेश की पूजा के विशेष उपाय बुधवार सुबह या शाम को स्नान कर ऋद्धि-सिद्धी सहित भगवान गणेश जी की मूर्ति के जल स्नान के बाद, उनके साथ पास में लाभ-क्षेम स्वरूप दो स्वस्तिक बनाएं, गणेश जी व उनके परिवार को केसरिया चंदन, सिंदूर, अक्षत व दूर्वा अर्पित करें.

इस मंत्र का करें उचारण

श्रीगणेश – ऊं गं गणपतये नम:।

ऋद्धि – ऊं हेमवर्णायै ऋद्धये नम:।

सिद्धि – ऊं सर्वज्ञानभूषितायै नम:।

लाभ – ऊं सौभाग्य प्रदाय धन-धान्ययुक्ताय लाभाय नम:।

शुभ – ऊं पूर्णाय पूर्णमदाय शुभाय नम:।

इस मंत्र के उच्चारण के बाद भगवान गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं, इसके बाद धूप व घी के दीप जलाकर गणेश की आरती करें और गणेश जी से अपनी इच्छानुसार वरदान मांगे. आपके व्यारे-न्यारे हो जाएंगे. आपके किस्मत के दरवाज़े खुल जायेंगे.

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