मात्र 2 रूपये में मिलेगी ये जानकारी आपका वोट कहाँ गया, गलत चैलेंज करने वाले को 6 माह की सजा

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नई दिल्ली।। EVM से वोटिंग को लेकर धांधली लगाने वालों के लिए निर्वाचन आयोग ने नई व्यवस्थ लागू की है। अब मतगणना में गड़बड़ी की आशंका पर VVPAT को चैलेंज किया जा सकता है। इसके लिये वोटर को मात्र दो रुपये खर्च करने होंगे, लेकिन इसके साथ ही यह भी शर्त है कि वीवीपैट यानि Voter verified paper audit trail को गलत चैलेंज करने पर संबंधित के विरुद्ध गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करायी जायेगी। चुनाव में मशीनों में गड़बड़ी के आरोप लगने के बाद निर्वाचन आयोग भारत सरकार ने इस बार एडवांस M-3 VVPAT मशीनों में यह नयी व्यवस्था लागु की है।

मतगणना के दौरान यदि कोई भी वोटर मशीन में गड़बड़ी का आरोप लगाता है और कहता है कि उसने अपना वोट जिस दल को दिया था उसका वोट उस दल को नहीं पड़ा तो वह दो रुपये जमाकर VVPAT को चैलेंज कर सकता है। इसके बाद प्रशासन द्वारा वहां मौजूद एजेंटों के सामने संबंधित बूथ की VVPAT का ट्रॉयल किया जायेगा और उसकी सच्चाई को सामने लाया जायेगा। यदि आरोप गलत साबित होता है तो संबंधित के खिलाफ प्रशासन द्वारा FIR दर्ज कराई जायेगी।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2017 में EVM पर राजनीतिक दलों ने गड़बड़ी का आरोप लगाते हुये सवाल खड़े किये थे। बाद में भी EVM पर लगातार आरोपों का सिलसिला जारी रहा। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने M-3 मशीन बनवाई और इसमें चैलेंज करने की व्यवस्था जारी की।

VVPAT को गलत चैलेंज करने पर निर्वाचन आयोग द्वारा दो अधिनियमों की धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज करने का भी प्रावधान रखा गया है। इसमें IPC की धारा-177 के तहत रिपोर्ट दर्ज की जायेगी। इस धारा के अंतर्गत 6 माह की कारावास के साथ एक हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया जा सकता है। इसके साथ ही लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 26 के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई जायेगी।

सुनील कुमार सिंह (ADM वित्त एवं राजस्व) के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग द्वारा पूरी तरह से VVPAT का इस्तेमाल किया जा रहा है। गड़बड़ी की आशंका पर VVPAT को चैलेंज करने की व्यवस्था बनाई गई है। यदि किसी के द्वारा VVPAT को गलत तरीके से चैलेंज किया जाता है तो उसके खिलाफ प्रशासन द्वारा FIR दर्ज कराई जायेगी।

वीवीपैट में दी गई है स्क्रीन पर प्रत्याशी के नाम की व्यवस्था

मतदान के दौरान जब मतदाता बैलेट यूनिट पर बटन दबाता है तो VVPAT में दिये गये स्क्रीन पर पार्टी का नाम व क्रम संख्या 8 सैकेंड तक प्रदर्शित होता है। इससे वोटर की पुष्टि होती है कि उसने जिस पार्टी व प्रत्याशी को वोट देने के लिये बटन दबाया है। वोट उसी उम्मीदवार को गया है। इसके साथ ही संबंधित पार्टी व प्रत्याशी की एक पर्ची पिंट्र होकर मशीन में गिर जाती है।

Voter Variable Paper Audit Trail यानी VVPAT एक तरह की मशीन होती है, जिसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के साथ जोड़ा जाता है। इस व्यवस्था के तहत मतदाता द्वारा वोट डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची बनती है। इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है। EVM में लगे शीशे के एक स्क्रीन पर यह पर्ची 8 सेकंड तक दिखती है। यह व्यवस्था इसलिए है ताकि किसी तरह का विवाद होने पर EVM में पड़े वोटों के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके।

सबसे पहले इसका इस्तेमाल नगालैंड के विधानसभा चुनाव में 2013 में हुआ। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट मशीन बनाने और इसके लिए पैसे मुहैया कराने के आदेश केंद्र सरकार को दिए। चुनाव आयोग ने जून 2014 में तय किया अगले आम चुनाव यानी साल 2019 के चुनाव में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाएगा।

चुनाव आयोग ने चिट्ठी लिख कर वीवीपैट के लिए केंद्र सरकार से 3174 करोड़ रुपये मांगे। बीईएल ने साल 2016 में 33,500 वीवीपैट मशीनें बनाईं। इसका इस्तेमाल गोवा के चुनाव में 2017 में किया गया। बीते दिनों में पांच राज्यों के चुनावों में चुनाव आयोग ने 52,000 वीवीपैट का इस्तेमाल किया।

वीवीपैट (VVPAT) यानि वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल इस बात की तस्दीक करेगा कि मतदाता ने जिस उम्मीदवार को वोट किया है वह उसी के खाते में जाए। हालांकि, EVM चुनाव कराने का एक सुरक्षित माध्यम है तो इसमें भी आपका वोट आपके पसंदीदा उम्मीदवार को ही जाता है। वीवीपैट एक और जरिया है, जिससे आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आपका वोट सही जगह गया है।

जब आप EVM में किसी उम्मीदवार के सामने बटन दबाकर उसे वोट करते हैं तो VVPAT से एक पर्ची निकल आती है, जो बताती है कि आपका मत किस उम्मीदवार के हिस्से गया है। इस पर्ची पर उम्मीदवार का नाम और उसका चुनाव चिन्ह छपा होता है। आपके और VVPAT से निकली पर्ची के बीच कांच की एक दीवार लगी होगी, मतदाता के रूप में आप 7 सेकेंड तक इस पर्ची को देख पाएंगे और फिर यह सीलबंद बॉक्स में गिर जाएगी, यह आपको नहीं मिलेगी। सिर्फ पोलिंग अधिकारी ही इस VVPAT तक पहुंच सकते हैं। मतगणना के वक्त किसी भी तरह की असमंजस या डिस्प्यूट की स्थिति में इन पर्चियों की भी गणना हो सकती है।

चुनाव आयोग के अनुसार EVM यानि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पूरी तरह से सुरक्षित और भरोसेमंद है। इसके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ करके रिजल्ट नहीं बदला जा सकता है। इसके बावजूद तमाम विपक्षी पार्टियां वर्षों से अपनी हार का ठीकरा EVM पर ही फोड़ती रही हैं। हालांकि, जब चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों से हैकाथॉन में अपने आरोप साबित करने के लिए कहा तो किसी भी पार्टी ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखायी। शायद कहीं न कहीं EVM पर सवाल उठाने वाली राजनीतिक पार्टियां भी जानती हैं कि गड़बड़ EVM में नहीं बल्कि, उनकी पार्टी ही कहीं चूक कर रही है।

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