माल कमाईए मस्त रहिए…..यही असली राष्ट्रवाद है….

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अजब-गजब: ईमानदारी एक बुरी बीमारी है। यह गंभीर मानसिक बीमारी है और यदि आप इस बीमारी से ग्रसित हैं तो तुरंत सत्ता (किसी भी दल की हो) के तलुए को आहिस्ता से जीभ से चाटिए और कैंची की तरह चलायमान जीभ को 32 सलाखों के मध्य कैद करिए….हौले से गुलाबी/हरे गांधी जी का खूबसूरती से स्पर्श करिए और राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल हो जाइए….यदि नहीं किया तो आप किसी भी सत्ताधारी के सर्पदंश से बच नहीं सकते….आप को ये बीमारी मानसिक चिकित्सालय भी पहुंचा सकती है जैसे IRS S.K. SRIVASTAVA…को पहुंचा दिया गया।

मेरे तमाम पत्रकार साथियों को ईमानदारी से पीडित भारतीय राजस्व परिषद के इस IRS S.K. SRIVASTAVA का नाम जरूर पता होगा। यह वही अफसर हैं जिन्होंने कांग्रेसी सत्ता के रहते हुए भी। तत्कालीन वित्त मंत्री पी० चिदंबरम व NDTV के फेरा मामलों को उजागर किया था। इस हिमाकत की सजा यह मिली कि श्री श्रीवास्तव जी को सरकार ने मानसिक रोगी करार देते हुए उन्हें पागलखाने भर्ती करवा दिया गया था। इस मामले को लेकर देश के “एकमेव राष्ट्रभक्त दूसरो नास्ति”….भाजपा ने खूब भुनाया-खाया….सत्ता बदली तो लगा एस के श्रीवास्तव टाइप ईमानदार पागलों को तरजीह मिलेगी….लेकिन ससुरा लोचा हो गया।

एस के श्रीवास्तव बीते दिनों वलुप्तप्राय प्राणी की तरह राष्ट्र को समर्पित कर दिए गये। यानी “एकमेव राष्ट्रभक्त दूसरो नास्ति”….भाजपा शासनकाल में श्रीवास्तव जी को जबरिया रिटायर कर दिया गया। यहां तक तो ठीक था लेकिन दो दिन पहले उनके घर व आफिस के कमरें में तोता भी भेज दिया गया यानी सीबीआई ने भी छापा डाल दिया। श्रीवास्तव जी ने पूर्व केन्द्रीय राजस्व सचिव हंसमुख अधिया व वर्तमान केन्द्रीय राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय से भी पंगा ले रखा था। श्रीवास्तव जी ने इन दोनों के खिलाफ मुकदमा कर रखा था जो खारिज हो गया…….फिल्म शोले का एक डायलाग याद आ रहा है-अब तेरा क्या होगा कालिया……”कालिया” की जगह “श्रीवास्तव_ पढ़ लें……

खैर!….हरियाणा के ईमानदार IAS अशोक खेमका को भी लगभग नमूना ही बना दिया गया…हां! एकमेव राष्ट्रभक्त दूसरो नास्ति”….ने इनका भी खूब इस्तेमाल किया था। IPS संजीव भट्ट को भी निपटाया जा चुका है…..सीधा सा संदेश है हवाओं का रूख भापों और चल पड़ो….यानी सत्ता के साथ चलो नहीं तो हाशिए पर फेंक दिए जाओगे…..ईमानदारी….निष्ठा….कर्तव्य…..ये किताबों में ही अच्छे लगते हैं….उन्हें वहीं रहने दें…..माल कमाईए मस्त रहिए…..यही असली राष्ट्रवाद है….यानी सत्ता किसी की भी ईमानदारी के बुखार के मरीज को कोई बर्दाश्त नहीं करता…..

।।जय हिंद।। भारत माता की जय।। वंदे मातरम।। राष्ट्रवाद जिंदाबाद।।

                                                                                                                  लेखक- पवन कुमार सिंह एक वरिष्ठ पत्रकार हैं और कई पुस्तकों को लिख चुके हैं। 

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