राफेल डील को लेकर राहुल गांधी ने पीएम मोदी से मांगी ये रिपोर्ट, कहा-साबित कर दूंगा कि चौकीदार चोर है

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नई दिल्ली।। सुप्रीम कोर्ट से राफेल डील मामले में मोदी सरकार को राहत मिलने के बाद एक ओर बीजेपी जहां कांग्रेस पर हमलावर है, वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी ने सरकार से नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के बारे में पूछा है।

राहुल गाँधी ने सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी का हवाला दिया जिसमें शीर्ष न्यायालय ने कहा कि राफेल की कीमत की चर्चा सीएजी की रिपोर्ट में है और यह रिपोर्ट संसद की पीएसी के पास है। राहुल ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस तरह की कोई रिपोर्ट पीएसी के सामने नहीं आई है। राहुल ने कहा कि पीएसी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हैं लेकिन उन्हें इस तरह की रिपोर्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

राहुल गाँधी ने कहा, “सरकार को हमें यह बताना होगा कि यह सीएजी रिपोर्ट कहां पर है। अगर है तो इसे सीएजी के चेयरमैन खड़गे को दिखाया जाए।” कांग्रेस अध्यक्ष ने तंज कसते हुए कहा, ‘हो सकता है कि एक अलग संसद में पीएसी के समानांतर एक अलग पीएसी चल रही हो।

हो सकता है कि यह पीएसी फ्रांस में हो और यह भी हो सकता है कि मोदी जी ने पीएमओ में अपनी एक अलग पीएसी बनाई हो। उन्होंने कहा, ‘जिस दिन राफेल मामले में संसदीय जांच हो गई उस दिन दो नाम नरेंद्र मोदी और अनिल अंबानी के निकलेंगे। पूरा हिंदुस्तान समझता है कि चौकीदार चोर है और हम इसे साबित करके दिखाएंगे।

वहीं इस मामले को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर हल्ला बोल दिया है। शुक्रवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता को गुमराह करने और सेना के बारे में संदेह पैदा करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। शाह ने कहा कि देश को गुमराह करने की ऐसी कोशिश पहले कभी नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘ राहुल गांधी देश की जनता को जवाब दें कि वह किस आधार पर देश की जनता को गुमराह कर रहे थे और उनके आरोपों के बारे में जानकारी का स्रोत कौन था।

शाह ने कहा कि देश की जनता कभी नहीं मानेगी कि चौकीदार चोर है। एक सवाल के जवाब में शाह ने कहा कि चुनाव में हानि-लाभ अलग बात है, लेकिन देश की सुरक्षा से जुड़े मसले पर ऐसे आरोप नहीं लगाने चाहिए। शाह ने राहुल गांधी से माफी मांगने को कहा है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राहुल गांधी को सलाह है कि सूरज के सामने कितनी भी मिट्टी उछाल लें, कीचड़ उछाल लें वह खुद पर गिरती है।

शाह ने कहा कि सरकार राफेल डील को लेकर सदन में चर्चा को लेकर तैयार है। चर्चा के दौरान सदन नहीं गिरेगा, इसकी गारंटी मैं देता हूं। कांग्रेस चर्चा के लिए सभी सुबूत लेकर सदन में आए। लेकिन कांग्रेस सदन में चर्चा से भाग रही है। राहुल गांधी ने सेना के मनोबल को ठेस पहुंचाने की कोशिश की।

वहीं इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन पर सरकार को बदनाम करने का प्रयास करने तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि खराब करने का भी आरोप लगाया। सिंह ने कहा, ‘‘कांग्रेस और कांग्रेस अध्यक्ष ने सियासी फायदे के लिए राफेल मामले में देश को गुमराह करने की कोशिश की और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश की छवि को प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आज के फैसले के बाद कांग्रेस अध्यक्ष को इस सदन से और देश से माफी मांगनी चाहिए।

राफेल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि राहुल गांधी ने राफेल को लेकर सदन और सदन के बाहर झूठ बोला है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान किया और राहुल गांधी को इस पर माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी राजनीति से आगे कुछ नहीं देख रही है इस पूरे मामले में हम देश हित की बात करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील के फैसले के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में इस डील को लेकर चर्चा कराए जाने की मांग की है।

बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय वायु सेना के लिए फ्रांस से खरीदे जाने वाले अरबों रुपए के राफेल विमान डील पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि उसे 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के NDA सरकार के फैसले में कोई अनियमितता नहीं मिली है। इसके साथ ही कोर्ट ने राफेल डील को लेकर दाखिल की गई सारी याचिकाएं भी खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि डील पर कोई संदेह नहीं है। विमान हमारे देश की जरुरत है। सीजेआई रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर 14 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि राफेल सौदे में कोई संदेह नहीं है। राफेल की गुणवत्ता में पर कोई सवाल नहीं है। हमने सौदे की पूरी प्रक्रिया पढ़ी है। विमान की कीमत देखना हमारा काम नहीं है। साथ ही इस मामले के सभी पहलुओं की जांच कोर्ट की देखरेख में कराना सही नहीं होगा।सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, पसंद का ऑफसेट पार्टनर चुने जाने में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है, और व्यक्तिगत सोच के आधार पर रक्षा खरीद जैसे संवेदनशील मामलों में जांच नहीं करवाई जा सकती।

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