चिंता जैसी समस्याओं से पीड़ित युवाओं में से केवल 20 प्रतिशत युवा ही उपचार के बाद लंबे समय तक अच्छी तरह से रह पाते हैं. एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है.
शोध के मुताबिक 30 प्रतिशत युवा हर फॉलोअप के समय चिंता विकार से क्रोनिक रूप से पीड़ित पाये जाते हैं. यह संभावना महिलाओं में अधिक होती है.
चिंता विकार मानसिक बीमारियों के एक समूह को कहते हैं. इसकी वजह से होने वाली परेशानी के चलते ऐसे व्यक्ति सामान्य जीवन नहीं जी पाते हैं. इस स्थिति के साथ चिंता और भय के कारण व्यक्ति काफी हद तक अक्षम साबित हो सकता है.
हार्ट केयर फाउंडेशन ( एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, ‘चिंता विकारों की शुरुआत का कोई विशिष्ट कारण नहीं है. वे मस्तिष्क और पर्यावरणीय तनाव, यहां तक कि जेनेटिक्स में बदलाव सहित कई कारणों से हो सकते हैं’.
उन्होंने कहा, ‘अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे अवसाद या आत्महत्या की भावनाओं के साथ चिंता का अनुभव करना बहुत आम है. चिंता और अवसाद दोनों के लक्षण वाले लोगों को मिश्रित चिंता और अवसादग्रस्तता हो सकती है. बचपन, किशोरावस्था या वयस्क उम्र में कठिन अनुभव भी चिंता की समस्याओं के लिए आम ट्रिगर हैं’.
क्या है लक्षण
आतंक, भय और बेचैनी का होना. अनिद्रा, जी घबराना, ठंड लगना. पसीना आना, सुस्ती, सांस उखड़ना. मुंह सूखना, जी मिचलाना, मांसपेशियों में तनाव और चक्कर आना.
क्या है इलाज
डॉ. अग्रवाल और आईएमए की नई दिल्ली शाखा के अध्यक्ष डॉ. ओ. पी. यादव ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा, ‘संगीत तनाव से छुटकारा दिला सकता है. साथ ही यह चिंता और अवसाद को कम कर सकता है. यह मूड को हल्का करने में मदद करता है और संचार को आसान बनाकर प्रियजनों से जुड़ने का एक तरीका प्रदान करता है’.
कैसे करें बचाव
कॉफी, चाय, कोला, ऊर्जा पेय और चॉकलेट सहित कैफीन से समृद्ध भोजन या पेय का सेवन कम करें. पर्याप्त आराम करें. जीवनशैली में बदलाव लाएं.