वाह रे यूपी पुलिस! दबंगों के शिकार पीड़ितों पर रंगदारी का मुकदमा किया दर्ज

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कानपुर नगर।। एक युवा दबंग कोचिंग संचालक के झांसे में आकर उन्हें रूपये उधार दे बैठता है। जब वह अपना उधार पैसा लेने उसके घर गए तो युवा और उसकी मां को कोचिंंग संचालक और उसके साथियों ने खूब ​पीटा। उन्हें गंभीर चोटें आई हैं। पर यह यूपी पुलिस को नहीं दिखाई दे रहा। इसके उलट पुलिस ने पीड़ित युवा के खिलाफ ही रंगदारी का मुकदमा दर्ज कर लिया।

मजे की बात यह है कि पुलिस को कोचिंग संचालक की तरफ से जो तहरीर सौंपी गई थी। उसमें मोबाइल नम्बर का जिक्र नहीं था। पर प्रथम पुलिस रिपोर्ट में मोबाइल नम्बर दर्ज है। यह कोचिंग संचालक और ​स्थानीय पुलिस के गठजोड़ की तरफ इशारा करता है।

जिस मोबाइल नम्बर से मांगी गई रंगदारी वह महीनों पहले से बंद

दरअसल कानपुर नगर के अर्पित ने मोहित यादव व रितिक भदौरिया को छह महीने पहले 36 हजार रूपये उधार दिए थे। तय हुआ था कि हफ्ते भर में पैसा वापस कर दिया जाएगा। पर उन्होंने पैसा वापस नहीं किया। जब काफी समय बीत गया तो 12 मई को अर्पित अपनी मां के साथ 12 मई को बर्रा स्थित रितिक भदौरिया के घर पैसे की मांग करने गए। उन्हें पैसा तो वापस नहीं मिला। उलटे रितिक, मोहित यादव और उनके साथियों ने अर्पित और उनकी मां को लात घूंसों और डंडों से जमकर पीटा। उन्हें गंभीर चोटें आई हैं। वह इसकी शिकायत करने बर्रा पुलिस स्टेशन पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें डांटकर भगा दिया। इसके उलट रितिक की तरफ से आनन फानन में रंगदारी की एफआईआर दर्ज कर ली गई। हैरानी की बात यह है कि एफआईआर में जिस मोबाइल नम्बर का जिक्र किया गया है। वह मोबाइल नम्बर महीनों पहले से बंद है और वह काम नहीं कर रहा है। ऐसे में उस मोबाइल नम्बर से किसी को फोन करके रंगदारी मांगने का केस पुलिस महकमे पर सवाल खड़े करता है।

पुलिस महकमा नहीं सुन रहा कांस्टेबल मां की फरियाद

चोटें लगने के बाद ना ही पीड़ित की शिकायत दर्ज की गई और ना ही उसका मेडिकल परीक्षण हो सका। पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस ऐसा कोचिंग संचालक के दबाव में कर रही है। ताकि मामले को दबाया जा सके। जबकि अर्पित की मां खुद पुलिस महकमे में कांस्टेबल के पद पर उन्नाव में तैनात हैं। पर विभाग के अफसर उनकी ही फरियाद नहीं सुन रहे हैं।

पुलिसिया थ्योरी में छेद ही छेद

कानपुरनगर की पुलिसिया थ्योरी में छेद ही छेद नजर आ रहा है। पुलिस जिस मोबाइल नम्बर से रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज कर चुकी है। वह नम्बर महीनों से बंद पड़ा है। ऐसे में उस फोने से काल होना संभव नहीं है। पीड़ितों का कहना है कि यह एकतरफा कार्रवाई दबंगों व स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से हो रहा है। ताकि उन्हें न्याय नहीं मिल सके।

फोटोः फाइल।

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