95 साल के बूढ़े आदमी ने मार डाले इतने लोग, सालों तक होती रही लाशों की गिनती, जब सामने आया सच तो…

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डेस्क ।। जर्मनी में 95 साल के एक बूढ़े पर हत्या का ऐसा मुकदमा शुरू हुआ है, जो इन दिनों पूरी दुनिया में मीडिया की सुर्खियां बटोर रहा है। बर्लिन में अभियोजकों ने शुक्रवार को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक व्यक्ति पर नाजी शिविर गार्ड के रूप में 36,000 से अधिक लोगों की हत्या करने के आरोप में 95 साल के एक व्यक्ति पर मुकदमा शुरू किया है।

बर्लिन के सार्वजनिक अभियोजक के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि आरोपी के खिलाफ ऑस्ट्रिया में माउथौसेन शिविर में किए गए उसके अत्याचारों के लिए आरोप लगाए गए हैं। इन शिविरों के नाज़ियों के विशाल नेटवर्क का एक हिस्सा माना जाता है, जहां कैदियों को गुलाम की तरह श्रम करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

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अभियोजकों का तर्क है कि इस नाजी साइट पर एक गार्ड के रूप में काम करके अभियुक्त ने हजारों कैदियों की मौतों में योगदान दिया। शिविर में इस शख्स के रहने के दौरान कम से कम 36,223 कैदियों की मृत्यु हो गई। अभियोजकों ने कहा कि गार्ड ने गैस, घातक इंजेक्शन, गनफायर और अन्य साधनों से हत्याओं को अंजाम दिया। इसके अलावा कई कैदियों की भूख या ठंढ से मृत्यु हो गई।

माना जा रहा है कि आरोपी को कैद में जान लेने की सभी विधियों के साथ-साथ कैदियों की विनाशकारी जीवन परिस्थिति के बारे में भी पता था। आरोप लगाया गया है कि अगर गार्ड ने इस गुप्त नाजी शिविर की सूचना समय रहते अधिकारियों को दी होती तो बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई जा सकती थी। बता दें कि माउथौसेन शिविर में कुल 200,000 लोग रखे गए थे गए थे, जिनमें से आधे मई 1945 में अमरीकी सैनिकों द्वारा शिविर की मुक्ति से पहले ही मर गए थे।

बर्लिन की एक अदालत को अब यह तय करना होगा कि इस शख्स के खिलाफ मामला आगे बढ़ सकता है या नहीं। 2011 में नाज़ियों के पूर्व गार्ड जॉन डिमनजुक के खिलाफ ऐतिहासिक फैसले के बाद जर्मनी में पूर्व नाज़ियों पर मुकदमा चलाने के कानूनी आधार मिल गया है। बता दें कि एक पूर्व गॉर्ड को उन्हें इस आधार पर सजा सुनाई गई कि उनके कब्जे वाले पोलैंड शिविर को नाजी हत्या मशीन बनाकर रख दिया गया था। बाद में जर्मन अदालतों ने बड़े पैमाने पर हत्या के लिए नाजी शिविरों के कई पूर्व गार्डों को दोषी ठहराया।

फोटो- प्रतीकात्मक

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