नई दिल्ली ।। आज से लगभग ढाई साल पहले यानी 2 नवंबर 2016 को हिंदुस्तान के पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में 500 व 1 हजार रुपए के नोट को बंद कर दिया था। पीएम मोदी द्वारा ये घोषणा करते ही 500 और 1 हजार रुपए के नोट सिर्फ कागज के टुकड़े बन कर रह गए थे।
इसी ऐलान के लगभग ढाई साल बाद एक महत्वपूर्ण खुलासा हुआ है। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि RBI के कुछ निदेशकों ने सरकार के इस फैसले से असहमति जताई थी। नोटबंदी पर लगभग हर तरह की चर्चा होने के बाद आज भी लोगों को RBI के स्टैंड के बारे में नहीं पता है। हालांकि, नोटंबदी से ठीक पहले RBI बोर्ड की बैठक में हुए कर्इ बातें सामने आई हैं।
नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार ने कहा था कि इससे ब्लैक मनी पर अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी। साथ ही इससे नकली करंसी को भी पकड़ने में आसानी होगी और कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी। लेकिन, नोटबंदी के ऐलान से ठीक 3 घंटे पहले यानी 5:30 बजे हुई RBI बोर्ड की बैठक में ज्यादातर सदस्य इस बात से असहमत रहे कि नोटबंदी से ब्लैक मनी पर अंकुश लग सकेगा।
ज्यादातर निदेशकों का मानना था कि ब्लैक मनी का एक बड़ा हिस्सा नकदी के रूप में नहीं बल्कि रियल एस्टेट प्रॉपर्टी व सोने के रूप में है। ऐसे में नोटबंदी जैसे कदम से इसपर कुछ खास असर नहीं पड़ेगा।