आरोप: आत्मदाह करने वाली दलित नाबालिग लड़की के गैंगरेप के आरोपियों की मदद कर रहीं हैं एसपी

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लखनऊ।। यूपी के पुलिस महानिदेशक अपनी पुलिस पर शर्मिंदा हैं। उन्होंने एक मामले में पांच पुलिसकर्मियों को सेवा से बर्खास्त भी कर दिया। लेकिन यूपी पुलिस है कि मानती नहीं। ताजा मामला बांदा जिले के बदौसा थाना क्षेत्र का है जहाँ गैंगरेप की कोशिश के मामले में पुलिस ने पीड़ित परिवार को ही हिरासत में ले लिया।

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परिजनों को पुलिस की हिरासत में लेने से आहत लड़की ने खुद को आग लगाकर जान दे दी। इस बार आरोप खुद पुलिस अधीक्षक पर लगा है। जो खुद एक महिला भी हैं। पीड़िता के परिजनों ने पुलिस अधीक्षक शालिनी पर गैंगरेप की कोशिश के आरोपी युवकों और थाना पुलिस के पक्ष में खुलकर उतरने का सनसनीखेज आरोप लगाया।

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मृत दलित नाबालिग लड़की के चाचा सुघर सिंह ने सोमवार को फिर दोहराया कि, “मेरी भतीजी शनिवार सुबह शौच के लिये खेतों की तरफ गई थी, जहां गांव के ही अजय और माधव ने उसे पकड़ लिया और गैंगरेप की कोशिश की। जब हम आरोपियों के घर उलाहना देने गये, तो वो उल्टे मारपीट पर उतारू हो गये।”

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उसने आगे बताया कि, “हमने डायल 100 की पुलिस को सूचना दी, और पूरी घटना बताई। लेकिन लमेहटा चौकी प्रभारी पहले दोनों पक्ष को अपने साथ ले गये। इसके बाद में आरोपी-पक्ष को कुछ दूर ले जाकर छोड़ दिया और हमें थाने के लॉकअप में तब तक बंद किये रही, जब तक मेरी भतीजी के आत्मदाह करने लेने की सूचना थाने नहीं आ गई।”

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थानाध्यक्ष उनकी भतीजी की मौत की सूचना मिलने के बाद खुद पुलिस की सरकारी जीप से गांव ले गये। उसने पुलिस अधीक्षक शालिनी के उस बयान पर तीखी नाराजगी व्यक्त की, जिसमें उन्होंने झूठी कहानी गढ़ते हुये सोमवार को पत्रकारों को बताया कि लड़की के भाई ने दो लड़कों के साथ उसे आपत्तिजनक स्थिति में देख लेने के बाद उसकी पिटाई कर दी।

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एसपी शालिनी की ‘संवेदनहीनता’ पर आक्रोश प्रकट करते हुये सुघर सिंह ने कहा, “एसपी साहिबा सिर्फ इतना बता दें कि जब हमारे खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं था तो बदौसा पुलिस 24 घंटे हमें लॉक-अप में क्यों बंद किये रही। मेरी भतीजी के शव की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सार्वजनिक करें। यदि उसके भाई ने पीटा होगा, तो शरीर पर बाहरी चोंटों के निशान तो होंगे।”

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उसने यह भी कहा कि “लड़की अपने बचाव में दोनों युवकों से भिड़ गई थी और किसी तरह उनकी गिरफ्त से छूटकर भागी।” सुघर सिंह ने आरोप लगाया कि, “पुलिस अगर पीड़िता के परिजनों को लॉकअप में बंद करने के बजाय दोषी युवकों पर कार्रवाई की होती, तो आज उसकी भतीजी जिंदा रहती। एसपी शालिनी जहां आरोपी युवकों का बचाव कर रही हैं, वहीं दोषी पुलिस का भी बचाव कर रही हैं।

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