नई दिल्ली ।। वर्ष 2018 राजनीतिक नजरिए से बहुत आवश्यक रहने वाला है। दरअसल, यह वह साल होगा, जिसमें 8 राज्यों के विधानसभा चुनाव तो होंगे ही, साथ में एक बड़ा राजनीतिक कयास यह भी लगाया जा रहा है कि बहुत मुमकिन है कि साल के आखिर तक कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा के चुनाव भी करवा लिए जाएं।
अगर ऐसा नहीं भी होता है, तो भी May 2019 में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव की दस्तक तो 2018 में सुनाई ही पड़ जाएगी। 2018 में जिन राज्यों के चुनाव होने हैं, उनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक जैसे राज्य भी शामिल हैं, जहां से लोकसभा की 93 सीटें आती हैं।
2014 के नतीजों पर अगर गौर करें तो पता चलता है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में इन 93 सीटों में 79 सीटों पर BJP को जीत मिली थी। जाहिर सी बात है कि लोकसभा चुनाव से पहले यहां होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों के जरिए राज्य के वोटर्स के मूड का पता भी चलेगा, जिसके जरिए बहुत कुछ 2019 की तस्वीर बनती दिखने लगेगी।
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इन 4 राज्यों में से 3 BJP शासित हैं और तीनों अब BJP के गढ़ के रूप में तब्दील हो चुके हैं। तो वहीं कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार तो है लेकिन BJP दक्षिण के इस दुर्ग पर फिर से अपना परचम फहराने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखेगी।
अगर BJPइन राज्यों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई तो 2019 में सत्ता में वापसी की उसकी राह बहुत आसान बनती नहीं दिखेगी। उधर कांग्रेस के लिए ये चुनाव उसकी वापसी के एक बड़े मौके के रूप में होंगे।
इसके अलावा North-east के 4 राज्यों- मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और नगालैंड में भी चुनाव होंगे। बेशक यहां से महज 6 लोकसभा सीटें ही हैं, लेकिन BJP कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक अपनी पहुंच बनाने और ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के नारे को लेकर जिस तरह से गंभीर है, उसके मद्देनजर इन 4 राज्यों के चुनाव अहम हैं।
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असम और मणिपुर जीतकर BJP North-east में धमक पहले ही जमा चुकी है। वह अब North-east के इलाकाई दलों के साथ वृहद गठबंधन करके पूरे इलाके पर कब्जा बनाने की दिशा में काम कर रही है। North-east के इन 4 राज्यों में से 2- मिजोरम और मेघालय में कांग्रेस की सरकार है तो त्रिपुरा में वामदल की सरकार है। वहीं नगालैंड में BJP समर्थित नैशनल पीपल्स फ्रंट सत्तारूढ़ है।
वामदलों के गढ़ों पर कब्जा करने को आतुर BJP को अभी इस दिशा में कामयाबी मिलनी शेष है, इस वजह से वह त्रिपुरा को मौके के रूप में भुनाने में लगी है। कांग्रेस को भी पांव जमाए रखने के लिए जीतना होगा।
फोटोः फाइल
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