भीड़ का हमला: गो तस्करी का आरोप लगाकर शख्स की पीट-पीटकर हत्या

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नई दिल्ली।। भीड़ का हमला जारी है। भले ही इसको ले लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को सख्त आदेश दिये हैं। लेकिन घटनायें हैं कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहीं। ताजा मामला राजस्थान के अलवर का है जहाँ गो तस्करी के आरोप में एक शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। घटना रामगढ़ थाना क्षेत्र के लालवंडी नामक गांव की है। जानकारी के मुताबिक मृतक का नाम अकबर खान है और वह हरियाणा के कोलगांव का रहने वाला है। खबर के मुताबिक मृतक दो गायों को लेकर जा रहा था।

पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर शवगृह में रखवा दिया है। बता दें कि बीते कुछ दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों से इस तरह पीट-पीटकर हत्या करने के कई मामले सामने आये हैं।

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भीड़ द्धारा हत्या किये जाने के मामले पर हाल ही में देश की सुप्रीम न्यायालय ने अपना निर्णय भी सुनाया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि कोई भी अपने हाथ में कानून नहीं ले सकता है। देश में भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

हालाँकि लोकसभा में विपक्ष द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘मॉब लिंचिंग’ की कड़ी निंदा की लेकिन यहाँ ये भी गौरतलब है कि इस तरह की सबसे अधिक घटनायें भाजपा शासित राज्यों में ही घटित हो रही हैं। पीएम मोदी ने राज्य सरकारों से ऐसी घटनाओं के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की अपील की।

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वहीं इसपर लोकसभा में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बयान दिया था. शुक्रवार को लोकसभा में बयान देते हुए राजनाथ ने कहा था कि देश में मॉब लिंचिंग की सबसे बड़ी घटना 1984 में हुई थी. इससे पहले उन्होंने कहा कि लिंचिंग की घटनाएं पहले भी होती रही हैं. इन घटनाओं पर कार्रवाई करने का काम राज्य सरकारों का है. उन्होंने कहा कि यह सच है कि देश में कई जगह लिंचिंग की घटनाएं होती रही हैं. जिसमें कई लोगों की जानें गई हैं. इस दौरान मारे वाले लोगों संख्या किसी भी सरकार के लिए चिंता का विषय है।

SC ने राज्य सरकारों को दिया सख्त आदेश

SC ने राज्य सरकारों को सख्त आदेश दिया है कि वो संविधान के मुताबिक काम करें। साथ ही राज्य सरकारों को लिंचिंग रोकने से संबंधित गाइडलाइंस को 4 हफ्ते में लागू करने का आदेश दिया।

अदालत ने सरकारों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि सरकारें हिंसा की इजाजत नहीं दे सकती हैं। लिहाजा इसे रोकने के लिये विधायिका कानून बनाये। गौरतलब है कि गोरक्षा के नाम पर हो रही भीड़ की हिंसा पर रोक लगाने के संबंध में दिशानिर्देश जारी करने के लिये सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी।

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