डेस्क. दीपावली पर लक्ष्मी और गणेश की पूजा करने का विधान हैं। इस दौरान उनकी आरती भी की जाती हैं जाने इनका अर्थ महत्व साथ ही पढ़ें ये आरती।
क्या है इन आरतियों का महत्व
कोर्इ भी पूजा तब तक अधूरी रहती है जब तक आरती नहीं होती। दीवाली भी इसका अपवाद नहीं है। इस पर्व पर मां लक्ष्मी और श्री गणेश की पूजा और आरती की जाती है। आइये जाने इन का महत्व । हिन्दू धर्म में आरती एक महान अनुष्ठान है जो पूजा पूरी होने के बाद की जाती है। गणपति जी की आरती करने से शांति प्राप्त होती है आर मन मस्तिष्क आर वातावरण से बुरार्इ नष्ट होती है। साथ ही श्री गणेश की आरती गाने से शुद्घता आर शुभ लाभ की प्राप्ति होती है। वहीं लक्ष्मी जी की आरती धन और समृद्धि पाने के लिए की जाती है। लक्ष्मी जी की आरती करने से मन में ऊजा का संचार होता है आर आलस्य दूर हो कर सक्रीयता की भावना जाग्रत होती है।
आरती का क्या है अर्थ
श्री गणेश की आरती का संदेश है प्रेम आैर इससे लोगों के मन में सद्भाव आैर स्नेह का संचार होता है। वहीं लक्ष्मी जी की आरती का मतलब है कि संपदा का लाभ तभी होता है जब आप की सोच सकारात्मक हो आैर आप उसे कल्याण के लिए प्रयोग करें।
कैसे करें आरती
मान्यता है कि बिना आरती के पूजा पूरी नहीं होती। पूजा की थाली में घी का दीया और कपूर जलाकर आरती की जाती है। गणेश जी की आरती कपूर जला कर और घी के दीये के साथ उनके चारों ओर घुमाते हुये आरती की जाती है। जबकि लक्ष्मी जी की आरती पूजा थाली में एक तेल या घी का दीपक रखकर गोल घेरे में करते है और बुराई को दूर करने और समृद्घि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
श्री गणेश जी की आरती:
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चार भुजाधारी,
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधे को आंख देत कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी,
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
लक्ष्मी जी की आरती:
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता,
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता,
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता,
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो, तांहि में हैं सद् गुण आता,
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता,
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता,
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता,
उर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता…