सत्ता के लासा कहे जाने डॉ लालजी प्रसाद निर्मल ने खुद को बताया दलितों का सबसे बड़ा हितैषी, मायावती को…

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लखनऊ।। सीएम योगी आदित्यनाथ को ‘दलितमित्र’ की उपाधि देने के बदले सरकार से राज्यमंत्री का दर्जा हासिल करने वाले डॉ लालजी प्रसाद निर्मल को अब मायावती दलितों की सबसे बड़ी दुश्मन दिखाई देने लगी हैं। अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने आज VVIP गेस्ट हाऊस लखनऊ में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि दलितों के पक्ष में चल रही केंद्रीय एवं राज्य सरकार की योजनाओं से विचलित होकर बीएसपी अध्यक्ष मायावती को दलित चौपाल की याद आ गई है। क्योंकि सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के सहारे दलित उद्यम और व्यवसाय से जुड़ने जा रहे हैं।

सरकार चाहे जिस पार्टी की रही हो डॉ लालजी प्रसाद निर्मल हर सरकार में अपनी पैठ बनाने की कला में माहिर रहे हैं। सत्ता के लासा कहे जाने वाले डॉ लालजी प्रसाद निर्मल को अब मायावती में सारी बुराइयां नजर आने लगी हैं। हालाँकि बहुजन समाज पार्टी की सरकार में भी डॉ लालजी प्रसाद निर्मल पावरफुल रहे।

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मायावती के इस बयान के बाद कि बीएसपी भाजपा के दलित प्रेम की हकीकत को बताने के लिये दलित बस्तियों में चौपाल लगायेगी। इसमें बीजेपी सरकार द्वारा किये गये दलित विरोधी कार्यों की जानकारी उन्हें दी जायेगी। इस चौपाल में बीएसपी के को-आर्डिनेटरों के साथ ही क्षेत्रिय नेता भी शामिल होंगे। इसकी शुरुआत अगले महीने से करने की तैयारी है।

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डा. लालजी प्रसाद निर्मल कहते हैं कि मायावती देश की राजनीति में सबसे बड़े जातिवादी चेहरे के रूप में स्थापित हैं, जो पहले ही कह चुकी हैं कि उनका उत्तराधिकारी उनकी अपनी ही जाति से होगा। गौरतलब है कि डॉ लालजी प्रसाद निर्मल धोबी समाज से हैं और आंबेडकर महासभा के इर्द-गिर्द ही उनकी राजनीति रही है। हर सरकार में सत्ता के नजदीकी रिश्ते बना कर रहने में माहिर डॉ लालजी प्रसाद निर्मल को बसपा अध्यक्ष मायावती छद्म आम्बेडकरवादी नजर आने लगी हैं। डा. निर्मल ने कहना है कि मायावती ने उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति, अत्याचार उत्पीड़न निवारण अधिनियम को निष्प्रभावी किया, जो सबसे बड़ा दलित विरोधी कदम था। डॉ निर्मल प्रोन्नति में आरक्षण को समाप्त करने के लिए भी मायावती को ही दोषी मानते हैं। उनका आरोप है कि मायावती ने प्रोन्नति में आरक्षण समाप्त करने की जमीन तैयार की।

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डॉ. निर्मल का कहना है कि मायावती के पास कोई दलित एजेंडा नहीं है। न तो उनके पास दलितों के आर्थिक विकास का कोई कार्यक्रम है। आज जब स्टैंडअप इंडिया योजना के तहत दलित उद्यम लगाने में सक्षम हो रहा है और राज्य सरकार की दीनदयाल उपाध्याय रोजगार योजना के तहत दलित व्यवसाई बन रहा है, तो विचलित होकर वे दलित चौपाल की बात कर रही हैं। हालाँकि बीएसपी सरकार में दलितों को ठेके में 10 प्रतिशत का आरक्षण मिला था जिसे बाद में अखिलेश सरकार में समाप्त किया गया।

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यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार में आये-दिन दलितों के उत्पीड़न और अत्याचार की खबरे सुर्ख़ियों में हैं ऐसे में डॉ लालजी प्रसाद निर्मल द्वारा योगी आदित्यनाथ को दलितमित्र के सम्मान से नवाजा गया। बदले में सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष पद से नवाजा गया। योगी आदित्यनाथ को दलितमित्र सम्मान दिए जाने का विरोध भी हुआ लेकिन इसका डॉ लालजी प्रसाद निर्मल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि डॉ निर्मल की मंजिल तो कुछ और ही थी। आंबेडकर महासभा के लोगों का कहना है कि महासभा की आड़ में डॉ लालजी प्रसाद निर्मल ने अपना उल्लू सीधा किया है। दलितमित्र अवार्ड को लेकर डॉ लालजी प्रसाद निर्मल ने बीजेपी से सांठ-गांठ करके बाबा साहेब के आदर्शों के सौदा कर लिया है। अब उनका असली चरित्र उजागिर हो गया है।

फोटोः फाइल

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