सत्ता के चक्कर में पार्टियों ने जनता के नुकसान को भी नकारा, कई राज्यों ने नहीं कम किए पेट्रोल-डीज़ल के दाम

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नेशनल डेस्क ।। भारत में लगातार आसमान छूं रहे पेट्रोल-डीज़ल के दामों मे पिसती हुई जनता को कुछ राहत देते हुए कल केंद्र सरकार ने एक्साइज़ ड्यूटी 2.25 रुपये कम करने का निर्णय लिया था जिसके बाद इसका असर हर तरफ दिखा और कई राज्यों ने एक्साइज के साथ साथ वैट भी खत्म क दिया और जनता को बड़ी राहत देते हुए 5 रुपये तक पेट्रोल कम कर दिया है।

लेकिन इस पर भी राजनीति होती दिखी और सरकारों ने जनता से ज्यादा अपना फायदा देखा औऱ सिर्फ बीजेपी शासित राज्यों ने ही इस नियम का पालन किया बाकि राज्यों ने पेट्रोल एक रुपये भी कम नहीं किया ताकि बीजेपी की तारिफ नहीं हो।

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कच्चे तेल के अंतराष्ट्रीय बाजार में लगतार तेजी के बीच देश में पेट्रोल-डीज़ल के दाम काफी ऊंचे हो गए हैं। उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए केंद्र ने डीजल-पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 1.50 रुपये की कमी की है और पेट्रोलियम का खुदरा काम करने वाली सरकारी कंपनियों को भाव एक-एक रुपये प्रति लीटर कम करने और उसका बोझ खुद वहन करने के लिए कहा गया है। इससे कंपनियों पर 9,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

भाजपा/एनडीए शासित राज्य सरकारों ने अपने यहां वैट/बिक्री कर में इसी के बराबर (2.50 रुपए प्रति लीटर) की कमी की है। केंद्र सरकार की इस घोषणा के बाद गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, जम्‍मू कश्‍मीर, उत्‍तराखंड, गोवा, महाराष्‍ट्र और हरियाणा राज्यों ने वैट में 2.50 रुपये की कटौती की है। इससे इन राज्यों में पेट्रोल-डीजल की प्रभावी कीमत पांच रुपये प्रति लीटर कम हो गई है।

वहीं कर्नाटक और केरल ने ईंधन की कीमतों में और कटौती करने से मना कर दिया है, क्योंकि इन राज्यों ने पिछले महीने ही ईंधन की कीमतों में उल्लेखनीय कटौती की थी। राजस्थान, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्य भी ईंधन की कीमतों में पहले कटौती कर चुके हैं।

बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार तेल कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर कम करे। वहीं केरल के वित्त मंत्री टी। एम। थॉमस इसाक ने इसे राजस्थान और मध्यप्रदेश के आगामी चुनावों से प्रभावित फैसला बताया।

भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार के चार साल के कार्यकाल में यह दूसरी बार है जब पेट्रोलियम पर उत्पाद शुल्क में कटौती की गई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि उत्पाद शुल्क में कटौती से केंद्र सरकार को 10,500 करोड़ रुपये के कर राजस्व का नुकसान होगा। जेटली ने राज्य सरकारों से भी इसी अनुपात में बिक्री कर या वैट में कटौती करने का आग्रह किया था।

पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दामों को देखते हुए राज्य सरकारों को वैट जरूर कम करना चाहिये लेकिन इस तुच्छ राजनीति के चक्कर में वह जनता के नुकसान को भी देखना भूल गए है और सिर्फ अपना ही फायदा देख रहे है जो कि बेहद गलत है और सभी नेताओं को यह नहीं करना चाहिये।

फोटो- फाइल

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