क्या आप जानते हैं लड़कियां ही नहीं लड़के भी होते हैं बांझ ? ये काम करने से बन सकते हैं पिता !

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डेस्क. इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) पुरुष बांझपन के उपचार का सफल तरीका है। ICSI को IVF (इन विंट्रो फर्टिलाइजेशन) की उन्नत तकनीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ICSI पुरुष बांझपन के उपचार के सबसे सफल तरीके के रूप में सामने आया है।

लड़के भी होते हैं बांझ

जिन पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम होती है, वहां आईवीएफ तकनीक ज्यादा कारगर नहीं होती है ऐसी स्थिति में ICSI तकनीक से लाभ होने की संभावनाए अधिक रहती हैं ।

इस प्रक्रिया महिला के अंडो को शरीर से बाहर निकल कर लैब में हर परिपक्व अंडे के केंद्र में एक शुक्राणु को इंजेक्ट किया जाता है जिससे भ्रूण बन जाता है जिसे बाद में महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।

क्या है ICSI के लाभ

ICSI के बारे में बताते हुए इन्दिरा आई वी एफ लाजपतनगर दिल्ली सेण्टर की आई वी एफ स्पेशलिस्ट डॉ. सागरिका अग्रवाल कहती हैं एक समय था जब पुरुष बांझपन की परिस्थिति में शुक्राणुदाता की शरण में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता था, लेकिन ICSI ट्रीटमेंट ने उन पुरुषों को भी पिता बनने का सुख दिया है, जिनमें शुक्राणुओं की संख्या बेहद कम होती है या निल होती है ।ICSI का काम है मेल पार्टनर के शुक्राणुओं में से स्वस्थ शुक्राणु चुनना और उसके प्रयोग से गर्भधारण को संभव बनाना।

ऐसे होता ICSI ट्रीटमेंट
ICSI ट्रीटमेंट के चक्र में 4 से 6 सप्ताह लगता हैं।महिला के अंडकोष को अधिक अंडे उत्पन्न करने के लिए विशेष दवा दी जाती है। एक बार जब अंडे तैयार हो जाते हैं, तब उन्हें निकल कर पुरुष के शुक्राणु को उसमे इंजेक्ट किया जाता है जिससे निषेचन की संभावनाए अधिक रहती हैं।

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