हिंदुस्तान को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के फैसले को उच्च न्यायालय ने किया खारिज, ये है वजह

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नई दिल्ली ।। मेघालय उच्च न्यायालय के 2 न्यायाधीशों की खंडपीठ ने ‘हिन्दू राष्ट्र’ पर दिए गए सिंगल बेंच के उस निर्णय को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि हिंदुस्तान को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित कर दिया जाना चाहिए था। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद याकूब मीर और जस्टिस एच एस थांगखियू की खंडपीठ ने न्यायाधीश एस आर सेन की सिंगल बेंच के फैसले को सतही करार देते हुए बताया कि ये संवैधानिक उपबंधों के विरूद्ध है।

‘बार एंड बेंच’ के अनुसार, डबल बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि इस मामले के सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि 10 दिसंबर 2018 को दिया गया निर्णय कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण है और संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है। फैसले में दिए गए निर्देश और दिशा-निर्देश पूरी तरह से त्रुटिपूर्ण है। इसलिए, इसे पूर्ण रूप से खारिज किया जाता है।

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आपको बता दें कि पिछले वर्ष 10 दिसंबर को न्यायाधीश सेन ने अपने विवादास्पद फैसले में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, कानूनमंत्री और सांसदों से आग्रह किया था कि वे पाकिस्तान व बांग्लादेश से आए हिंदुओं, सिखों, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई, ख़ासी, जैन और अन्य समुदाय के लोगों को यहां रहने की अनुमति देने और उसे नागरिकता देने के लिए कानून बनाएं।

निवास प्रमाण पत्र से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान अपने फैसले में जस्टिस सेन ने कहा था कि 1947 में विभाजन के दौरान ही हिंदुस्तान को एक हिंदू देश घोषित किया जाना चाहिए था।

हालांकि, उस समय हिंदुस्तान ने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बने रहना चुना था जबकि पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश घोषित किया था। जस्टिस सेन ने कहा था कि जब विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था तो देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर दिया जाना चाहिए था। इस फैसले के बाद बड़ा विवाद हुआ था।

जस्टिस सेन से स्पष्टीकरण भी मांगा गया था जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि मैं धार्मिक कट्टरपंथी नहीं हूं, बल्कि मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं क्योंकि मेरे लिए ईश्वर एक हैं। इसके विरूद्ध उच्च न्यायालय में एक अपील और जनहित याचिका भी लंबित है।

फोटो- प्रतीकात्मक

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