डेस्क. उत्तर प्रदेश के सभी राजकीय व निजी राज्य औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ ही हिन्दी और अंग्रेजी भी प्रशिक्षुओं को पढ़ाई जाएगी।
प्रदेश सरकार ने आईटीआई प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण के दौरान यूपी बोर्ड के तहत हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट की परीक्षा पास कराने और उन्हें निजी क्षेत्रों में नौकरी के बेहतर अवसर दिलाने की मंशा से यह फैसला किया है। इसके चलते हर साल करीब 3. 5 लाख प्रशिक्षुओं को नौकरी के अवसर आईटीआई से निकलते ही मिलने लगेंगे।
दरअसल, आईटीआई में वेल्डर और छात्राओं के लिए कला शिल्प जैसे व्यवसाय में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए कक्षा 8 पास का प्रमाणपत्र मांगा जाता है। बाकी फिटर, इलेक्ट्रीशियन, मैकेनिक, कम्प्यूटर ऑपरेटर जैसे प्रमुख व्यवसायों के लिए हाईस्कूल पास होना जरूरी है।
इस तरह सरकारी और निजी आईटीआई में हाईस्कूल पास करीब ढाई लाख और कक्षा 8 पास एक लाख छात्र-छात्राएं प्रवेश लेते हैं। इनमें से तमाम छात्र खासतौर से छात्राएं आईटीआई से व्यावसायिक कोर्स तो कर लेती हैं, लेकिन आगे की अकादमिक शिक्षा नहीं ले पाती है।
नतीजतन, हाईस्कूल और इण्टर की योग्यता के साथ मांगी जाने वाली नौकरियों में आवेदन ही नहीं कर पाती हैं। नतीजा, यह होता है कि उनका आईटीआई से लिया प्रशिक्षण बेकार चला जाता है।
प्रशिक्षुओं की इस समस्या को देखते हुए पिछली समाजवादी पार्टी सरकार ने आईटीआई के प्रशिक्षुओं को यूपी बोर्ड से हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने का मौका देने के लिए 11 अप्रैल 2016 को एक अध्यादेश जारी किया था। इसमें उ.प्र.माध्यमिक शिक्षा परिषद ने यह शर्त लगा दी कि हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट उत्तीर्ण का प्रमाणपत्र देने के लिए प्रशिक्षुओं को हिन्दी या अंग्रेजी विषय को पास करना जरूरी होगा।
उस समय सपा सरकार के समय यह अध्यादेश तो जारी हो गया, लेकिन प्रशिक्षुओं को अंग्रेजी या हिन्दी पढ़ाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई। अब भाजपा सरकार के समय व्यावसायिक शिक्षा विभाग ने इस अध्यादेश को अमल में लाने के लिए सभी 300 सरकारी आईटीआई में एक-एक हिन्दी और अंग्रेजी विषय के टीचर को रखने का फैसला किया है। इसी के साथ 2700 निजी आईटीआई के लिए भी हिन्दी और अंग्रेजी का टीचर रखने को जरूरी कर दिया गया है।