सर्दी की दिनों में तेजी से फैल रही ये भयानक बीमारी, बच्चों को रखिए सावधान

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नेशनल डेस्क ।। व्यापक रूप से चलाए जा रहे टीकाकरण द्वारा शिशुओं को सभी घातक बीमारियों से बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस कारण बच्चे कई गंभीर रोगों से मुक्त भी होते जा रहे हैं लेकिन कुछ सालों से जिस तरह से डिप्थीरिया के रोगी सामने आ रहे हैं इससे सचेत होकर जागरूक होने की जरूरत है।

क्या है डिप्थीरिया-

डिप्थीरिया जिसे आम भाषा में गलघोटू भी कहा जाता है। गलाघोटू बीमारी प्राणघातक रोगों की श्रेणी में आता है। यह एक संक्रामक रोग है जो कि ज्यादातर तीन से दस साल के बच्चों को अपना शिकार बनाता है। यह रोग ‘कोरनीबैक्टीरियम डिप्थेरी’ नामक जीवाणु के कारण होता है।

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इस बीमारी के पता चलने पर शुरुआती 24 से 48 घंटे काफी महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान यदि बच्चे को सही इलाज मिल जाता है तो बच्चे की जान बचाई जा सकती है क्योंकि डिप्थीरिया शरीर में एक प्रकार का जहर बनाता है जो कि बच्चे के ब्लड के साथ मिलकर और अंगों को भी नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है

डिप्थीरिया से पीड़ित होने पर बच्चे के गले में दर्द, बुखार, खाना खाने में तकलीफ या गर्दन में सूजन आ जाती है और गर्दन का आकार बहुत बढ़ जाता है, जिसे ‘बुलनेक’ कहा जाता है। इसके अलावा बच्चे को थकावट व बेचैनी होने लगती है, सांस लेने में तकलीफ होती है। गले के दोनों तरफ टॉन्सिल व इसके आस-पास गंदे भूरे रंग की परत जमा हो जाती है जिसे छेड़ने पर खून आने लगता है। कई बार नाक से गंदा पानी आने लगता है और नाक में पपड़ी जमने से नाक बंद रहने लगती है।

डिप्थीरिया रोग मुख्यत: शरीर के तीन भागों गले, नाक व स्वर यंत्र ( सांस नली का ऊपरी भाग )में होता है लेकिन शरीर के अन्य भाग भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। आमतौर पर हृदय व हमारे तंत्रिका तंत्र पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है।

इस बीमारी का पता चलने पर बाकी बच्चों से पीड़ित बच्चे को दूर रखना चाहिए। इलाज के लिए बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है जहां उसे आइसोलेशन वॉर्ड में रखा जाता है। इलाज के दौरान उसे पेनसिलिन दी जाती है। इसके अलावा ‘एंटी डिफ्थेरिक सिरम’ दी जाती है जो कि इस बीमारी के लिए कारगर दवा है।

ये हैं खतरे की कगार पर –

जिन बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, भीड़भाड़ या गंदगी वाले इलाकों में रहने वाले लोगों के बच्चों को इस बीमारी की आशंका रहती है।

फोटो- प्रतीकात्मक

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