अपने शहीद भाई का चेहरा छूना चाहती थी बहन, बड़ा भाई बोला- मैं लूंगा पाकिस्तान से बदला

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नई दिल्ली ।। कश्मीर के पुंछ जनपद में शाहपुरा सेक्टर में देश की रक्षा करते हुए रविवार तड़के लगभग साढ़े 3 बजे मकराना तहसील के जूसरी गांव निवासी हरि भाकर (21) शहीद हो गए। सोमवार को सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में किया गया।

शहीद के जुड़वां भाई हरेंद्र ने कहा कि हरि मेरे जुड़वां भाई थे और मुझसे दो मिनट बड़े भी। मैं अभी जीआरसी जबलपुर में नौ माह की ट्रेनिंग पर हूं। उनका चयन 2016 में हो गया था। वे मुझे बहुत प्यार करते थे। उनमें बचपन से ही देशभक्ति का जज्बा था इसलिए वे पुलिस व सेना की वीरता से जुड़ी फिल्में ही देखते थे और मुझे भी प्रेरित करते थे।

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पाकिस्तान की नापाक करतूतें सुनकर उनका खून खौल उठता था। भाई से प्रेरित हो मैंने भी सेना में जाने का मन बनाया। 8-9 बार भर्ती रैलियों में शामिल हुआ मगर किसी न किसी कारण रिजेक्ट होता रहा।

मैंने उम्मीद छोड़ दी तो भाई ने कहा कि तुम्हें सैनिक ही बनना है। सफलता के टिप्स दिए और मेरा चयन हो गया। उस दिन सबसे ज्यादा खुशी अगर किसी को थी तो वे मेरे भाई हरि थे। वे अकसर कहते थे, देश की खातिर मर मिटने का सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलता। जब भी मौका मिले, देश सेवा सर्वोच्च रखना। मेले भी उन्हीं की चिताओं पर लगते हैं। आज भी वही देखा। सही में भाई की चिता पर मेले सा माहौल था।

भाई से बिछुड़ने का दुख तो है ही मगर उनकी शहादत पर गर्व भी है। भाई शरीर से पैर अलग होने के कारण खून से लथपथ थे मगर रॉकेट लांचर से गोले दागते रहे और दुश्मन को पटखनी भी दी। आज उन्होंने जो नाम कमाया है, वह बहुत बड़ी संपदा है। पूरे देश को उनके भाई पर नाज है। लेकिन मैं भी बता हूं, जब भी मौका मिला, बदला जरूर लूंगा। भारत मां के हर एक वीर शहीद की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी। मैं इन युवाओं से कहना चाहता हूं, कि शहादत का बदला लेने के लिए सेना में भर्ती हों।’

बर्फीले पहाड़ों पर ऑक्सीजन की भी होती है कमी : शहीद हरि की पार्थिव देह के साथ आए नायब सूबेदार चैनाराम ने बताया कि हरि की ड्यूटी जहां थी वो 10 हजार फीट ऊंचाई पर थी जहां बर्फीले पहाड़ हैं। वहां ऑक्सीजन की भी कमी रहती है मगर हरि में हौसला बहुत था। शहादत से पहले घायल होने के बावजूद दुश्मनों को ललकारते रहे। इतना ही नहीं, लांचर से गोले दाग दुश्मन को नुकसान भी पहुंचाया।

शहीद हरि भाकर की अंत्येष्टि सोमवार को उनके पैतृक गांव जूसरी स्थित भाकरों की ढाणी में सैन्य सम्मान के साथ हुई। लोगों ने शहीद हरि भाकर और भारत माता के जयकारे लगाए। मुखाग्नि शहीद हरि भाकर के जुड़वां भाई सैनिक हरेंद्र ने दी। तीन किमी लंबी अंतिम यात्रा में दो घंटे का समय लगा।

अंतिम यात्रा में आसपास के गांवों के हजारों लोग शामिल हुए। इससे पहले सुबह 9:30 बजे जैसे ही सेना के ट्रक से शहीद हरि की पार्थिव देह उनके घर लाई गई, मौजूद सबकी आंखें नम हो गई। शहीद की बहन भाई का चेहरा बार-बार छूना चाह रही थी। लोग उसे संभालने की कोशिश करते रहे लेकिन वो भाई के ताबूत को नहीं छोड़ना चाहती थी।

फोटो- फाइल

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