अजब-गजब ।। वर्षाऋतु (बारिश का मौसम) में जाने-अनजाने लोगों का सामना सांपों से हो ही जाता है, निचले हिस्सों में पानी भर जाने के बाद सांप जमीन के ऊपरी हिस्से की ओर आ जाते हैं अब ऐसे में जरूरी है कि लोग अपने साथ साथ इन सांपों का भी बचाव करें, क्योंकि इनकी सुरक्षा से ही पर्यावरण में संतुलन बना रह सकता है वैसे भी हर सांप के काटने का मतलब मौत ही नहीं होता है।
सांप परभक्षी है अपने भोजन की तलाश में ये हमारे घरों में घुस जाते हैं, रात में घर के बाहर जलनेवाली लाइट से आकर्षित होकर इंसेक्ट पहुंचते हैं, इंसेक्ट को खाने के लिए मेढ़क और छिपकली आते हैं और घरों में चूहे भी रहते हैं इन्हीं सबका पीछा करते हुए सांप घरों में घुस जाते हैं घर में विषहीन सांप भी आ जाए तो उसे साक्षात मौत ही समझा जाता है, जबकि सच्चाई इससे काफी अलग है ज्यादातर सांप विषहीन हैं।
आपको बता दे झारखंड में 26-27 प्रजाति के सांप मिलते हैं, इनमें मात्र छह प्रजाति के सांप ही जहरीले हैं सभी सांप घरों में नहीं घुसते इनमें से 25 प्रजाति में छह से सात प्रजाति के सांप ही घरों में घुसते हैं, सांपों को घर से दूर रखने के लिए कार्बोलिक एसिड और फिनाइल एक कारगर उपाय है।