नई दिल्ली ।। अमेरिका जल्द ही H1-B वीजा पॉलिसी में बदलाव करने वाला है। ट्रंप प्रशासन ने इस वीज़ा के अंतर्गत कुछ खास पेशों की परिभाषा को बदलने का प्रस्ताव भेजा है। इसके अलावा ‘फॉरेन वर्क वीज़ा कैटेगरी’ में भी बदलाव किए जाएंगे, जो कि भारतीय कंपनियों में काफी प्रचलित है। इस कदम की वजह से अमेरिका में काम कर रही भारतीय आईटी कंपनियों पर काफी प्रभाव पड़ेगा। यही नहीं इंडियन अमेरिकन लोगों द्वारा चलाई जा रही छोटी और मध्यम कैटेगरी की आईटी कंपनियों पर भी असर पड़ेगा।
इसके पहले आईटी क्षेत्र की एक हजार से अधिक छोटी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक समूह ने अमेरिका की इमीग्रेट एजेंसी के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। यह मुकदमा तीन साल से कम अवधि के लिए एच-1बी वीज़ा जारी करने को लेकर किया गया था। दरअसल, सामान्य रूप से एच-1बी वीज़ा तीन साल से छह साल के लिए जारी किया जाता है। इस वीजा के तहत अमेरिकी कंपनियां विशेषज्ञता वाले खास काम के लिए विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करती हैं।
बुधवार को डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्युरिटी (डीएचएस) ने बताया कि नया प्रस्ताव 2019 तक बन जाएगा। उन्होंने कहा कि खास पेशों की परिभाषा को इसलिए फिर से परिभाषित किया जाएगा ताकि एच-1 बी वीज़ा के तहत प्रतिभाशाली लोगों को लिया जा सके।
डीएचएस ने कहा कि यह रोज़गार और एंप्लॉयर-एंप्लॉई संबंधों को भी फिर से परिभाषित करेगा ताकि अमेरिकी कामगारों के हितों की रक्षा की जा सके। डीएचएस ने कहा कि विदेशी लोगों की तरफ से दायर किए गए अंतरिम रेग्युलेशन गवर्निंग याचिका को भी यह अंतिम रूप दे रहा है जिसके तहत एच-1 बी वीज़ा गैर-इमीग्रेट कैटेगरी पर लागू होता है।