किसानों को हुआ बड़ा नुकसान, धान की फसल से…

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झारखंड ।। झारखंड के किसानों पर प्रकृति की दोहरी मार पड़ी है। एक तो समय पर बारिश नहीं होने के कारण धान की रोपनी विलंब से हुई है, वहीं दूसरी ओर सुखाड़ जैसे हालात से उत्पादन कम होने का आशंका बढ़ गई है। इससे किसानों को 3500 से 4000 करोड़ रुपए की क्षति उठानी पड़ सकती है।

कृषि विभाग ने 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का अनुमान लगाया था, लेकिन खराब मानसून के कारण 15.27 लाख हेक्टेयर में ही खेती हुई है। जून से जुलाई के बीच 6.11 लाख हेक्टेयर और अगस्त में 9.16 लाख हेक्टेयर भूमि में रोपनी की गई है। कृषि वैज्ञानिक की मानें तो अधिक उत्पादन के लिए जुलाई तक धान की रोपाई जरूरी है। इसके बाद रोपनी होने पर प्रति हेक्टेयर 50 किलो उत्पादन कम होता जाता है।

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2015 में सुखाड़ के कारण धान के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा था। 15.88 लाख हेक्टेयर में खेती हुई थी, लेकिन उत्पादन सिर्फ 25.69 लाख मीट्रिक टन हुआ था। वही स्थिति इस साल भी दिख रही है। इस साल 2015 की तुलना में 61 हजार हेक्टेयर कम खेती हुई। अधिकतम 22 लाख मीट्रिक टन धान के उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है।

झारखंड में 2015 को छोड़कर पिछले तीन-चार वर्षों में धान का उत्पादन अच्छा हुआ है। 2017 में 51.09 लाख मीट्रिक टन धान हुआ था, जबकि इससे पहले 2016 में 49.88 लाख मीट्रिक टन, 2014 में 43.24 लाख मीट्रिक टन और 2013 में 36.37 लाख मीट्रिक टन उत्पादन होने का रिकॉर्ड है। इस साल 20 से 25 लाख मीट्रिक टन कम धान होने की उम्मीद है।

केंद्र सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 1750 रुपए तय किया है। वहीं, राज्य सरकार ने प्रति क्विंटल 150 रुपए बोनस देने की घोषणा की है। यानि किसान को प्रति क्विंटल 1900 रुपए समर्थन मूल्य मिलेगा। उत्पादन में 20 से 25 लाख मीट्रिक टन की कमी से किसानों को 3500 से 4000 करोड़ रुपए तक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

फोटो- फाइल

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