मोबाइल वॉलेट्स कंपनियों का नुकसान, बैंकों के लिए फायदेमंद

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नई दिल्ली ।। मोबाइल वॉलेट्स की सुविधा देने वाली कंपनियों का एक नुकसान बैंकों के लिए फायदेमंद रहा है। प्रीपेड सेगमेंट के पास मौजूद डोमेस्टिक रेमिटेंस बिजनेस अब बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स सेगमेंट के पास लौट आया है। इसकी मुख्य वजह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का मोबाइल वॉलेट्स के जरिए मनी ट्रांसफर के लिए पूरे केवाईसी कम्प्लायंस की जरूरत वाला ऑर्डर है।

सूत्रों ने बताया कि ऑक्सीजन, पे प्वाइंट और ईको जैसे वॉलेट्स के द्वारा हो रहे मनी रेमिटेंस बिजनेस में से लगभग 95 प्रतिशत बैंकिंग चैनल्स के पास आ गया है। इसके लिए अब बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स या बैंकों के एजेंट्स के तौर पर बिजनेस कर रहे हैं। ये एजेंट्स पहले प्रवासी श्रमिकों को अपने घर पर पैसा भेजने के लिए रेमिटेंस जैसी मनी सर्विसेज डिजिटल वॉलेट्स के जरिए दे रहे थे। ये अभी भी ये सर्विसेज उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन इसके लिए अब बैंक एकाउंट्स में डिपॉजिट का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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कस्टमर को इससे असुविधा नहीं होती। हालांकि,उन्हें कुछ अधिक फीस देनी पड़ती है। ऑक्सीजन सर्विसेज के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील कुलकर्णी ने बताया, मिनिमम केवाईसी वॉलेट्स के साथ कस्टमर्स को बैंक एकाउंट्स में प्रति माह केवल 10,000 रुपए ट्रांसफर करने की अनुमति थी और इसमें रिटेल एजेंट कैश को वॉलेट्स में लोड करते थे। अब वहीं एजेंट ट्रांजैक्शन कर रहे हैं, लेकिन यह बैंक एकाउंट में सीधे कैश लोडिंग के द्वारा हो रहा है।’

ऑक्सीजन सर्विसेज अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और आरबीएल बैंक के बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट के तौर पर सर्विस दे रही है।कुलकर्णी ने कहा,अब 10,000 रुपये की लिमिट बढ़कर 25,000 रुपये प्रति माह हो गई है। फिनो पेमेंट्स बैंक जैसे बैंकों को इस बदलाव से बड़ा फायदा हुआ है। फिनो पेमेंट्स बैंक के चीफ बिजनेस ऑफिसर आशीष आहूजा ने बताया कि उनका बैंक प्रति माह लगभग 4,500 करोड़ का डोमेस्टिक मनी ट्रांसफर बिजनेस प्रोसेस कर रहा है। फिनो पेमेंट्स बैंक यह सर्विस खुद और लगभग 60 पार्टनर फर्मों के जरिए दे रहा है।आहूजा ने कहा, ‘हम इको, स्पाइस मनी, पेवर्ल्ड जैसे कई एजेंट्स के साथ जुड़े हैं।’

फोटो- फाइल

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