लखनऊ।। मायावती ने सोमवार को समाजवादी पार्टी से गठबंधन का औपचारिक रूप से एलान कर दिया। जानकारी देते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और विधायक सुखदेव राजभर ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष ने सपा और बसपा में जमीनी स्तर पर तालमेल बनाने को कहा है। मायावती ने पार्टी के जोनल-कोऑर्डिनेटरों समेत सभी वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई थी। इसमें सपा और बसपा गठबंधन को लेकर फीड-बैक भी लिया गया। बैठक में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई। अब मायावती इसको लेकर दिल्ली में भी कुछ नेताओं से मुलाकात कर सकती हैं।
वही केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री और आरपीआई प्रमुख रामदास आठवले ने बीएसपी प्रमुख मायावती को सपा की जगह बीजेपी से चुनावी गठबंधन करने की सलाह दी है। आठवले ने कहा कि वे खुद इस मामले में पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से बात करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के सहयोग से मायावती 3 बार मुख्यमंत्री बन चुकीं हैं इसलिए उन्हें सपा से बेमेल गठबंधन की जगह बीजेपी की सहयोगी बनना चाहिए।
मायावती ने एक न्यूज एजेंसी से कहा कि “मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में दलितों के साथ होने का केवल दिखावा किया है। नरेंद्र मोदी भले ही मन की बात में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जिक्र करते हैं लेकिन उनकी मानसिकता बाबा साहेब की विचारधारा के बिल्कुल विपरीत है। यही वजह है कि बीते कई समय से बीजेपी-आरएसएस सत्ता से दूर रहे।” मायावती ने बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, “बसपा का राज्यसभा उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर बीजेपी के अतिरिक्त कैंडिडेट खड़ा करने की वजह से हार गया। सपा-बसपा ने अपनी महत्वाकांक्षाओं को नहीं बल्कि बीजेपी की कुशासन को रोकने के लिए हाथ मिलाया है।”
बसपा विधायक विनय तिवारी ने बताया कि मायावती ने गठबंधन को लेकर जो बात कही थी उसी को दोहराया है। हमें चुनाव की तैयारियों में लगने को कहा गया है। बसपा विधायक राजभर के मुताबिक, मायावती अपने दिल्ली दौरे में उन सभी नेताओं से मुलाकात करेंगी जो गठबंधन में आ सकते हैं। एक बीएसपी नेता की मानें तो पार्टी 35 सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है। ये वो सीटें होंगी, जहां दलित आबादी ज्यादा है।
राज्यसभा में हार के बाद मायावती ने मीडिया से बात करते हुए लखनऊ में कहा था कि, “सपा-बसपा भाजपा के खिलाफ लड़ते रहेंगे। 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए मजबूती से लड़ा जायेगा। राज्यसभा चुनाव में सपा और बसपा के विधायकों को वोट डालने से रोका गया। भाजपा ने विधायकों पर पुलिस का खौफ दिखाकर धमकाया, उन्होंने डरकर भाजपा को वोट दिया।”