मिशन 2019 : बीजेपी सांसदों का जिताने के लिए विधायकों का भविष्य दांव पर लगा !

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लखनऊ. पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी भाजपा ने एक तरफ संपर्क, संवाद और जगह-जगह कार्यक्रमों के सहारे सियासी जमीन मजबूत करने की तैयारी की है तो दूसरी ओर वकीलों, व्यापारियों, डॉक्टरों व शिक्षकों समेत अन्य व्यवसायों से जुड़े लोगों के सरोकारों के सहारे भी जमीन दुरुस्त करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

बीजेपी

साथ ही, क्षेत्रों में कई जगह विधायकों व सांसदों के बीच तनातनी को देखते हुए लोकसभा चुनाव में सांसद उम्मीदवार को जिताने की जिम्मेदारी विधायकों को सौंपी है। यह भी साफ कर दिया है कि चुनाव में पार्टी के सांसद उम्मीदवार को मिलने वाले वोट उस क्षेत्र के विधायकों का भविष्य तय करेंगे।

पिछड़े वर्ग के लोगों से निरंतर संवाद और उनके अलग-अलग तबकों के साथ विचार-विमर्श कर सपा व बसपा के गठबंधन की काट तलाशने में जुटे भाजपा के रणनीतिकारों ने अब अपने 17 प्रकोष्ठों के जरिये इन तबकों का सम्मेलन कर उनकी भाजपा के साथ लामबंदी का तानाबाना बुना है। चुनाव के लिहाज से तैयारियों को अभी से शुरू करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव संचालन समितियां बनाने और क्षेत्रवार जमीनी फीडबैक तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

जीते विधायक से कम नहीं मिलने चाहिए वोट

प्रदेश में लोकसभा की तीन व विधानसभा की एक सीट का उपचुनाव हार चुकी भाजपा 2019 के चुनावी समर में जीत के लिए माइक्रो प्रबंधन में जुटी है। भाजपा रणनीतिकारों का लक्ष्य येन-केन प्रकारेण पार्टी के मत प्रतिशत को 51 फीसदी से ऊपर ले जाना है। मुख्यमंत्री आवास पर बृहस्पतिवार रात बैठक में गैर भाजपाई दलों के एकजुट होकर लड़ने की तैयारी से बन रही वोटों की गणित के बारे में विधायकों को बताया गया।

साथ ही, अलग-अलग स्थानों पर संासदों और विधायकों के बीच खींचतान के हालात देख उन्हें यह भी साफ किया गया कि वे निजी मतभेदों को भूलकर लोकसभा की चुनावी तैयारियों में जुटें। चुनाव किसी व्यक्ति की जीत या हार का नहीं, बल्कि भाजपा का है। इसलिए विधायकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों से पार्टी के सांसद पद के उम्मीदवारों को जिताकर भेजें। उम्मीदवारों को संबंधित विधायक से कम वोट नहीं मिलने चाहिए।

चेतावनी भी मिली

पार्टी की तरफ से विधायकों को चेतावनी देते हुए कहा कि 25-30 विधायकों ने पिछले दिनों पार्टी की तरफ से चलाए गए कार्यक्रमों में रुचि नहीं ली। रात्रि प्रवास के दौरान कुछ विधायक संबंधित गांव में ही नहीं गए। कोई विधायक यह न समझे कि कोई कुछ देख नहीं रहा है। सभी कामों और अभियानों की मॉनीटरिंग हो रही है।

इस तरह भी तैयारी

चुनाव संचालन समितियों का गठन अभी से करने का फैसला किया गया। तय किया गया कि समितियों में क्षेत्र के प्रभावी लोगों को रखने के साथ दलित, पिछड़े और महिलाओं को भी पर्याप्त हिस्सेदारी दी जाए। समितियां अपने क्षेत्र के सांसदों और विधायकों के स्तर से उनके क्षेत्रों में कराए गए कार्यों का लेखा-जोखा तैयार करेंगी।

साथ ही, उन कामों की स्थिति का भी फीडबैक लेंगी जो केंद्र और प्रदेश सरकार ने शुरू कराए हैं। जिससे कार्यों को समय से पूरा कराया जा सके। साथ ही, अलग-अलग क्षेत्रों के बारे में वहां के लोगों को पार्टी बता सके कि उनके यहां कितने काम कराए गए हैं। सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की सूची तैयार करने और उनका सम्मेलन करने का काम पहले ही सौंपा जा चुका है।

इनके होंगे सम्मेलन

भाजपा ने अलग-अलग काम करने वालों को पार्टी के साथ जोड़ने के लिए विधि, प्रबुद्ध, व्यावसायिक, चिकित्सा, आर्थिक, व्यापार, सहकारिता, सैनिक, सांस्कृतिक, बुनकर, शिक्षक , मछुआरा, स्थानीय निकाय, पंचायत, एनजीओ, वरिष्ठ नागरिक और लघु उद्योग प्रकोष्ठ बना रखे हैं। बैठक में इन प्रकोष्ठों के तत्वावधान में सम्मेलन कराने का फैसला किया गया। सम्मेलनों के जरिये इन अलग-अलग तबकों को भाजपा के साथ लामबंद करने की तैयारी है। इनमें मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तो शामिल रहेंगे ही, कुछ सम्मेलनों में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी आ सकते हैं। सूत्रों की मानें तो सम्मेलनों में सरकार की तरफ से अलग-अलग इन तबकों के लिए कुछ सहूलियतें देने की घोषणा भी की जा सकती है।

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