NHM: यूपी में फिर बड़ा गड़बड़झाला, मौज काट रहे संविदाकर्मी

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लखनऊ।। घोटालों के चलते यूपी में बदनाम NRHM का नाम बदलकर भले ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) कर दिया गया हो। पर इसका मिशन की कार्यप्रणाली पर कोई असर नहीं पड़ा है। NHM की कामों में फिर गड़बड़ी उजागर हुई है। मिशन में तैनात संविदाकर्मियों का मानदेय मनमाने ढंग से बढाया जा रहा है। जबकि नियमों के मुताबिक उनका मानदेय एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर 5 फीसदी ही बढाया जा सकता है। यह सब मिशन के अधिशासी निदेशक पंकज कुमार की नाक के नीचे यह अनियमितता बदस्तूर जारी है।

क्या है मामल़ा
दरअसल इस गड़बड़ी को राजधानी स्थित स्वास्थ्य भवन में तैनात संयुक्त निदेशक व राज्य कुष्ठ अधिकारी सुनील भारती और एनएचएम में कंसलटेंट के पद पर तैनात अभय द्विवेदी की मिलीभगत से अंजाम दिया जा रहा है। अभय की पत्नी मीनाक्षी द्विवेदी कुष्ठ रोग महकमे में संविदा पर बीएफओ के पद पर तैनात हैं। उनकी मासिक आय 33075 रूपये है। उन पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी तरीके से पीआईपी के माध्यम से 50963 रूपये मानदेय का प्रस्ताव भेजा। जिसे मंजूर कर लिया गया। जबकि नियम है कि एक साल की सेवा पर सिर्फ 5 फीसदी ही मानदेय बढाया जा सकता है। इसी तरह एक अन्य कंसलटेंट दिव्या शिवाजी का मानदेय 22 हजार से बढाकर 44 हजार किया गया है जो नियमों के विपरीत है।

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पत्नियों को लाभ पहुंचा रहे अधिकारी
मजे की बात यह है कि मानदेय सिर्फ उन्हीं संविदा कर्मियों का बढा है। जिनके पति एनएचएम में उच्च पदों पर तैनात हैं। उन्होंने कुष्ठ राज्य अधिकारी व एनएचएम के मुखिया की मिलीभगत से अपनी अपनी पत्नियों के मानदेय में अप्रत्याशित बढोत्तरी की मंजूरी करा ली। जबकि तमाम संविदा कर्मी वर्षों से कुष्ठ रोग को दूर करने की लड़ाई लड़ रहे हैं। संविदा पर कार्यरत हैं। उन्होंने अपना मानदेय बढाने के लिए उच्च स्तर पर कई बार अनुरोध भी किया। पर उनके तर्कों की कोई सुनवाई नहीं है। नियमों के विपरीत एनएचएम में चल रहे इस खेल से बड़े घपले की बू आ रही है।

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