नई दिल्ली ।। अपनी ताकत में और इजाफा करने के अभियान में जुटी इंडियन एयरफोर्स नए लड़ाकू विमानों के लिए सभी संभावनाएं तलाश रही है। इसी कड़ी में 114 लड़ाकू विमानों की खरीद प्रक्रिया शुरू हुई है और एयरफोर्स को उम्मीद है कि नए लड़ाकू विमान उसे जल्द मिल जाएंगे। राफेल फाइटर जेट की तरह इस सौदे में देरी नहीं होगी, जिसमें लगभग 10 साल से अधिक का समय लग गया है।
एयरफोर्स के लिए 114 लड़ाकू विमानों के लगभग करीबन 1 लाख 5 हजार करोड़ रुपए के सौदे को हासिल करने की दौड़ में बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, यूरोफाइटर, रसियन यूनाइडेट एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन और साब जैसी कंपनियां जुटी हैं। यही कंपनियां पहले मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) की बोली में शामिल हुई थीं।
सौदे को हासिल करने के लिए कंपनियों ने कई आकर्षक प्रस्ताव भी रखे हैं। अमेरिकी कंपनी बोइंग ने तो एफ-16 विमानों का निर्माण हिंदुस्तान में ही करने का प्रस्ताव किया है। हिंदुस्तान और फ्रांस के बीच 36 से अधिक राफेल विमानों की आपूर्ति को लेकर भी बातचीत चल रही है। इनके अलावा और भी कई विकल्प सामने आए हैं।
लड़ाकू विमानों की सप्लाई में देरी से इंडियन एयरफोर्स की युद्ध तैयारियों पर बहुत असर पड़ा है। एयरफोर्स की पुराने हो चुके मिग-21 लड़ाकू विमानों को धीरे-धीरे हटाने की योजना है, लेकिन विभिन्न कारणों से नए विमानों के मिलने में देरी की वजह से ये योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है।
इंडियन एयरफोर्स के पूर्व आला अफसर चाहते हैं कि ताकत को बढ़ाने के लिए विदेशी कंपनियों से लड़ाकू विमानों की खरीद के साथ ही देश में नए प्रोडक्शन लाइन खोलने के साथ-साथ निजी क्षेत्र को भी इसमें हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। बता दें कि एयरफोर्स अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने दिल्ली में हाल ही में एक कार्यक्रम में बताया था कि लोग 40 वर्ष पुरानी कार नहीं चलाते हम 44 वर्ष पुराने प्लेन उड़ा रहे हैं।