OBC-SC/ST के बाद अब पीएम मोदी का आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण या लॉलीपॉप!

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लखनऊ ।। बीत दिनों जाट, मराठा, पटेल व अन्य प्रभावशाली जातियों ने उन्हें आरक्षण (Reservation) दिए जाने की मांग उठानी शुरू की। इस मांग को लेकर पिछले कुछ वर्षों में कई समुदायों ने बड़े आन्दोलन चलाए। इनसे सम्बंधित राज्य सरकारें पशोपेश में पड़ गईं।

इसी मामले में, BJP के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने प्रभावशाली जातियों के आर्थिक दृष्टि से पिछड़े परिवारों के लिए 10 फीसदी आरक्षण (Reservation) की घोषणा की है। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इस आशय के विधेयक को स्वीकृत करने के बाद, इसे संसद के दोनों सदनों ने पारित कर दिया और उसे राष्ट्रपति की स्वीकृति भी प्राप्त हो गयी।

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‘यूथ फॉर इच्लिटी’ नामक संस्था, जो कि आरक्षण (Reservation) की अवधारणा का इस आधार पर विरोध करती आ रही है कि किसी भी काम को हासिल करने का एकमात्र आधार योग्यता होनी चाहिए, ने इस निर्णय को उच्चतम न्यायलय में चुनौती दी है।

यह दिलचस्प है कि एक राजनैतिक दल के रूप में BJP, आरक्षण (Reservation) की परिकल्पना की ही विरोधी रही है। दक्षिणपंथियों ने आरक्षण (Reservation) की अवधारणा का विरोध करते हुए कई आन्दोलन चलाए। सन 1980 में दलितों के लिए कोटा निर्धारित करने के मुद्दे को लेकर आरक्षण (Reservation)-विरोधी दंगे हुए थे, जिनके दौरान दलितों के खिलाफ हिंसा हुई थी।

इसी तरह, सन 1985 के बाद से, पदोन्नति में आरक्षण (Reservation) के सिद्धांत के विरोध में हिंसा का एक और सिलसिला हुआ था। मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किये जाने का विरोध करने वाली एकमात्र पार्टी शिवसेना थी। आरक्षण (Reservation) की अवधारणा का विरोधी होने का दंभ भरने वाली BJP ने, चुनावी कारणों से, मंडल आयोग का विरोध नहीं किया।

इसके मुकाबले उसने कमंडल की राजनीति शुरू की और राममंदिर आन्दोलन के नाम पर समाज को धार्मिक आधार पर ध्रुवीकृत कर, देश में भारी रक्तपात की भूमिका रची। ‘यूथ फॉर इच्लिटी’ निरंतर हर तरह के आरक्षण (Reservation) का विरोध करती आयी है। वह अब सुप्रीम कोर्ट में है।

अभी आरक्षण (Reservation) की उच्चतम सीमा 50 फीसदी है, जो इस 10 फीसदी आरक्षण (Reservation) के साथ 60 प्रतिशत हो जाएगी। यह बढोत्तरी न्यायपालिका को स्वीकार्य होगी या नहीं, यह अभी देखा जाना बाकी है। परन्तु 10 प्रतिशत आरक्षण (Reservation) के लिए पात्रता की जो शर्तें निर्धारित की गयीं हैं, वे चकित कर देने वालीं हैं।

खबर के मुताबिक, आठ लाख रुपए तक की वार्षिक पारिवारिक आय वाले शख्स और शहरों में 1,000 वर्ग फुट तक के क्षेत्रफल के मकान और गांवों में पांच एकड़ तक की जमीन के मालिक आरक्षण (Reservation) के पात्र होगें। इस लिहाज से तो देश की 90 प्रतिशत आबादी इस श्रेणी में आ जाएगी।

जाहिर है कि इस परिभाषा से सकारात्मक भेदभाव के सिद्धांत, जो कि आरक्षण (Reservation) की व्यवस्था का आधार है, की चूलें हिल जायेगीं और ऊंची जातियों के गरीबों को कोई लाभ नहीं होगा। यह साफ है कि सरकार का इरादा यह कतई नहीं है कि ऊंची जातियों के गरीबों को आगे आने का अवसर मिले।

अभी तक SC, ST व OBC समेत जो वर्ग आरक्षण (Reservation) का लाभ लेते आ रहे हैं, उन्हें समाज में नीची निगाहों से देखा जाता रहा है। इन वर्गों के लिए आरक्षण (Reservation) को निष्प्रभावी बनाने के लिए, बड़ी संख्या में निजी कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित हुए, जिनमें प्रवेश पाने के लिए योग्यता से अधिक धन की दरकार होती है।

पीएम मोदी हर साल रोजगार के 2 करोड़ अवसर सृजित करने की वायदे के साथ 2014 में सत्ता में आये थे। नए अवसर तो निर्मित हुए नहीं उलटे असंगठित क्षेत्र में नोटबंदी के कारण नौकरियों की संख्या में भारी कमी आई। बढ़ती हुई बेरोजगारी के मद्देनजर, सरकार को न केवल अपनी औद्योगिक नीति में बदलाव के बारे में सोचना होगा परन्तु यह भी विचार करना होगा कि हम आरक्षण (Reservation) जैसे सकारात्मक कार्यक्रमों को कैसे लागू करें।

हमारे समाज के सामने जो समस्याएं हैं, इनसे निपटने के लिए हमें समावेशी एजेंडा वाली समावेशी सरकार चाहिये। समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण (Reservation) की व्यवस्था, मोदी-BJP का एक और जुमला है। इससे ऊंची जातियों के गरीबों को फायदा होने वाला नहीं है। दूसरी तरफ, आर्थिक आधार पर आरक्षण (Reservation) देना, एक तरह से इस बात की स्वीकारोक्ति है कि सरकार निर्धनता का उन्मूलन करने में असफल रही है।

यह हमारे संविधान में आरक्षण (Reservation) के एकमात्र आधार – सामाजिक पिछड़ापन – के साथ छेड़छाड़ का प्रयास भी है। आरक्षण (Reservation), गरीबी-उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है। गरीबी को खत्म करने की जरुरत है परन्तु कॉर्पोरेट घरानों की पिछलग्गू सरकार से हम यह अपेक्षा नहीं कर सकते कि वह गरीबों की भलाई के लिए सार्थक और अर्थपूर्ण कदम उठाएगी।

साभार- 24 घंटे ऑनलाइन

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