मोदी सरकार लेने जा रही बड़ा फैसला, पेट्रोल-डीजल होगा महंगा, जानिए कब से

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नई दिल्ली ।। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की घटती कीमतों को देखते हुए घरेलू बाजार में अगले पखवाड़े तक पेट्रोल और डीजल के दामों में पांच रुपये प्रति लीटर तक की कमी की उम्मीद है। हालांकि, कच्चा तेल नरम होने से सत्ता के गलियारे में इस बात पर भी चर्चा शुरू हो गई है कि सरकार ने डीजल-पेट्रोल पर जो केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती की थी, वह वापस ले लेगी। लेकिन वित्त मंत्रालय के अधिकारी इस बारे में अभी कोई संकेत नहीं दिया है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में मंगलवार की शाम ब्रेंट क्रूड का भाव 76.04 डॉलर पर था, जबकि इसी महीने की शुरूआत में यह 86 डॉलर प्रति बैरल पर था। सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल के एक अवकाश प्राप्त वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक आमतौर पर कच्चे तेल के दाम यदि प्रति बैरल एक डॉलर ऊपर नीचे होते हैं, तो घरेलू बाजार में भी प्रति लीटर पेट्रोल-डीजल के दाम में इतना ही असर दिखता है।

इसलिए जब कच्चे तेल की कीमत में इतनी कमी हुई है, तो पेट्रो ईंधनों के खुदरा दाम में भी इतनी कमी की गुंजाइश तो बनती ही है। लेकिन इस पर फैसला लेने से पहले कुछ और तथ्यों को भी ध्यान में रखना पड़ता है।

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बीते चार अक्टूबर को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले केंद्रीय उत्पाद शुल्क में डेढ़ रुपये प्रति लीटर और तेल कंपनियों द्वारा दाम में प्रति लीटर एक रुपया कटौती के फैसले की जानकारी दी थी। उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का भाव 86 डॉलर प्रति बैरल के करीब था।

मंगलवार को इसी किस्म के कच्चे तेल का दाम घट कर 76 डॉलर प्रति बैरल के करीब आ गया था। यही नहीं, डॉलर के मुकाबले रुपया भी थोड़ा मजबूत हुआ है। वित्त मंत्री ने जब केंद्रीय उत्पाद शुल्क घटाया था, तब भारतीय जनता पार्टी की सरकार वाले कई राज्यों ने भी वैट या बिक्री कर में ढाई रुपये प्रति लीटर तक की कटौती की थी। तब से दाम में कुछ बढ़ोतरी के बाद लगातार तेरह दिन से गिरावट आ रही है।

इसी महीने पहले सप्ताह में जब पेट्रो ईंधनों पर कर कटौती की घोषणा हुई थी, उस समय दिल्ली में पेट्रोल का दाम 84 रुपये प्रति लीटर जबकि डीजल का दाम 75.45 रुपये प्रति लीटर था। बुधवार को पेट्रोल का भाव 79.55 रुपये रहा, जो पहले सप्ताह के मुकाबले 4.45 रुपये कम है। इसी तरह डीजल 73.78 रुपये प्रति लीटर के भाव पर बिक रहा है, यानी चार अक्तूबर के मुकाबले 1.67 रुपये सस्ता हुआ है।

इसलिए कहा जा रहा है कि दोनों ईंधनों के दाम में पांच रुपये की गिरावट की गुंजाइश तो बनती ही है। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार के भाव का असर घरेलू बाजार की कीमतों पर दिखने में 15 दिन का समय लगता है। इसलिए सस्ते कच्चे तेल का असर दिखने में एक पखवाड़े का समय लगेगा।

वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें सामान्य स्तर पर आ जाती है, तो कर कटौती का फैसला वापस भी हो सकता है। लेकिन यदि केंद्र सरकार ऐसा करेगी तो राज्यों को भी वैट या बिक्री कर में की गई कटौती को वापस लेने का साहस मिलेगा। ऐसा होने पर बाजार में अचानक दोनों ईंधनों के दाम बढ़ जाएंगे।

फोटो- फाइल

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