डकैत से सांसद बनी फूलन देवी, आज इस काम की वजह है चर्चा में, जानिए उनके बारे में

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नई दिल्ली।। डकैत से सांसद बनी फूलन देवी के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे है। शायद ही कोई ऐसा हो जिसे उनके बारे न पता हो।फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को यूपी में हुआ था। इनकी शादी 11 साल की अल्पआयु में हो थी। लेकिन उनके पति और पति के परिवार ने उन्हें छोड़ दिया था। जिसके बाद उन्हें बहुत ज्यादा प्रत्याड़ित किया गया। उसके बाद काफी ज्यादा कष्ट झेलने के बाद फूलन देवी का रूझान डकैतों की ओर हुआ था। धीरे-धीरे फूलनदेवी ने अपने खुद का एक गिरोह खड़ा कर लिया और उसकी लीडर बन गई।

आपको बता दें कि फूलन देवी द्वारा गिरोह बनाने से पहले गांव के कुछ लोगों ने कथित तौर पर फूलन के साथ दुराचार किया। फूलन इसी का बदला लेने की मंशा से फूलन ने बीहड का रास्‍ता अपनाया। डकैत गिरोह में उसकी सर्वाधिक नजदीकी विक्रम मल्‍लाह से रही।

आमतौर पर फूलनदेवी को डकैत के रूप में की तरह गरीबों का पैरोकार समझा जाता था। सबसे पहली बार (1981) में वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आई जब उन्होने ऊँची जातियों के बाइस लोगों का एक साथ तथाकथित (नरसंहार) किया जो (ठाकुर) जाति के लोग थे। लेकिन बाद में उन्होने इस नरसंहार से इन्कार किया था।

फिर बाद में यूपी और एमपी सरकार तथा प्रतिद्वंदी गिरोहों ने फूलन को पकड़ने की बहुत सी नाकाम कोशिशे की। इंदिरा गाँधी की सरकार ने (1983) में उनसे समझौता किया की उसे (मृत्यु दंड) नहीं दिया जायेगा और उनके परिवार के सदस्यों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जायेगा और फूलनदेवी ने इस शर्त के तहत अपने 10000 समर्थकों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

बिना मुकदमा चलाये 11 साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ऐसा उस समय हुआ जब दलित लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतीक के रूप में देखी जाती थी। फूलन ने अपनी रिहाई के बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया। 1996 में फूलन ने यूपी के भदोही सीट से लोकसभा चुनाव जीता और वह संसद तक पहुँची। 25 जुलाई साल 2001 को दिल्ली में उनके आवास पर फूलन की हत्या कर दी गयी।

फोटोः फाइल

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