नई दिल्ली। शारीरिक संबंध किसी भी रिलेशन का हिस्सा है। इससे दो रिश्तों के बीच प्यार का संचार बढ़ता है। लेकिन आज भी रूड़ीवादी सोच को मानने वालो की कमी नहीं।
शिक्षित होने के बावजूद भी आज भी कई लोगों की मानसिकता है कि फर्स्ट टाइम सेक्स करने पर लड़कियों के वेजाइना से खून का रिसाव होता है। इसी संबंध में हम आपको कुछ तथ्यों के बारे में बताएंगे।
सेक्सोलाजिस्ट के अनुसार पहली बार सेक्स के दौरान ब्लीडिंग का होना कोई जरूरी नहीं और इस बात से वर्जिनिटी का निर्धारण करना पूरी तरह से गलत है। ब्लीडिंग न होना नार्मल है। तो इस बात को दिमाग से निकल दीजिए कि ब्लीडिंग न हुई तो आपकी पार्टनर वर्जिन नहीं है।
महिलाओं के वेजाइना के उपरी हिस्से में एक पतली सी टिशु की परत होती है जिसे हाइमन कहते है। सेक्स के दौरान जब वेजाइना पर जोर पड़ता है तो हाइमन की परत टूट जाती है और रक्तस्राव होने लगता है।
सेक्सोलाजिस्ट के अनुसार हाइमन की परत इतनी पतली होती है कि वो ज्यादा दबाव पड़ने पर फट जाती है जरूरी नहीं है कि सेक्स ही उसका कारण है। अमुवन आजकल के इस आधुनिक दुनिया में लड़कियां किसी भी काम में लड़कों से कम नहीं वो सारे काम करती है जैसे ऑफिस में वर्क करना, स्पोर्ट्स खेलना, साइकिलिंग करना और घुड़सवारी करना। जब महिलाओं को जोर से पेशाब लती है तो इस वजह से भी हाइमन पर जोर पड़ता है और वह फट जाता है।
ऐसे ही साइकिलिंग करने से या स्पोर्ट्स खेलने से वेजाइना पर तनाव पड़ता है और हाइमन के फटने की आशंका रहती है। तो इसमें कोई घबराने की बात नहीं है। पूराने तर्कों के आधार पर वर्जिनिटी का निर्णय करना पूरी तरह से गलत है।