प्रमोशन में आरक्षण: पीएम मोदी को क्रेडिट देने की बात पर डॉ निर्मल को अवधेश वर्मा ने दिया करारा जवाब, कहा…

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लखनऊ ।। अनुसूचित जाति एवं जनजाति वित्त विकास निगम के अध्यक्ष डॉ लालजी प्रसाद निर्मल ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से पूछा है कि क्या वो प्रमोशन में आरक्षण पर अपना स्टैंड साफ करेंगे। दरअसल, बीते रविवार को वीवीआईपी गेस्ट हाउस में प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने पूर्व सीएम अखिलेश यादव से पूछा है कि वह आरक्षण के पक्ष में हैं या नहीं।

 

हालांकि, डॉ लालजी प्रसाद निर्मल पूर्ववर्ती सपा सरकार में सीएम अखिलेश यादव के करीबी माने जाते थे, इसी के चलते उन्हें सचिव का भी दिया गया था। सूत्रों की माने तो करीबीयां इस कदर बढ़ गई थी कि एक बार उन्हें समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा भेजने का निर्णय ले लिया था। तब खुद डॉ निर्मल ने ही इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। सीएम अखिलेश से निकटता के बावजूद डॉ लाल जी प्रसाद निर्मल ने प्रमोशन में आरक्षण को लेकर कोई सवाल खड़े नहीं किए और सत्ता के निकट होने का लाभ लेते रहें। इससे पूर्व बसपा सरकार में भी मायावती के आंख के तारे थे डॉ लाल जी प्रसाद निर्मल और तब भी उन्होंने आरक्षण को लेकर कोई सवाल नहीं खड़ा किया था।

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2017 में प्रदेश में योगी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनने के बाद कानून व्यवस्था दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थी और इस बीच प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश भर में दलितों के ऊपर अत्याचर औऱ उत्पीड़न की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि होने लगी। सूबे में दलित उत्पीड़न की घटनाओं के चलते सीएम योगी की छवि दलित विरोधी बनती जा रही थी। ऐसे में एक योजना के तहत अम्बेडकर जयंती के अवसर पर महासभा के अध्यक्ष डॉ लालजी प्रसाद निर्मल ने सीएम योगी आदित्यनाथ को दलित मित्र की उपाधि दे डाली।

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हालांकि, महासभा में इसका विरोध भी हुआ यहां तक की यह भी कहा गया कि दलित विरोधी मुख्यमंत्री को दलित मित्र की उपाधि ले नवाजा जाना समझ से परे है। इसमें चापलासी की बू आती है और यही नहीं अंबेडकर जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को ‘दलितमित्र’ की उपाधि से सम्मानित किये जाने का विरोध करने पर अंबेडकर महासभा कार्यालय के पास एस आर दारापुरी, पूर्व आईएएस हरिश्चंद्र व उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया था।

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मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को ‘दलितमित्र’ की उपाधि दिए जाने के बाद सरकार ने डॉ लालजी प्रसाद निर्मल को राज्यमंत्री का दर्जा देते हुए अनुसूचित जनजाति और वित्त विकास निगम का अध्यक्ष बना दिया। राज्यमंत्री का दर्जा पाए जाने के बाद से डॉ निर्मल अखिलेश और मायावती पर लगातर हमला कर रहे हैं।

मीडिया से बात करते हुए डॉ लालजी प्रसाद निर्मल ने एक तरफ मायावती पर निशाना साधते हुए कहा है कि मायावती ने बिना कोई कमिटी बनाए प्रमोशन में आरक्षण का फॉर्म्युला लागू किया, जिसका खमियाजा बाद में दलितों को भुगतना पड़ा। तो वहीं दूसरी ओर अखिलेश ने बिना कमिटी बनाकर विचार किए ही प्रमोशन पाए लोगों को रिवर्ट कर दिया। दोनों ही गलत थे। दोनों को ही दलितों की फिक्र नहीं है।

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डॉ लालजी प्रसाद निर्मल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये अंतरिम आदेश में कहा गया है कि सरकारें चाहें तो प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था को जारी रहने दे सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश जारी कर दिया है। दलितों को प्रमोशन में आरक्षण का क्रेडिट डॉ निर्मल पीएम मोदी को ही देते हैं। लेकिन बीजेपी की सरकारों में दलितों के उत्पीड़न को लेकर डॉ लालजी प्रसाद निर्मल चुप ही रहते हैं।

इस मामले में डॉ लालजी प्रसाद निर्मल पर पलटवार करते हुए अवधेश वर्मा ने कहा है कि यूपी के दलित समाज को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है, सुप्रीम कोर्ट कहता है कि कानून की परिधि में आरक्षण में दिया जा सकता है। उत्तर प्रदेश में जो आरक्षण की धारा 3(7) है वह खत्म हो गई है। जब उत्तर प्रदेश में आरक्षण को लेकर कोई एक्ट ही नहीं है तो आरक्षण का लाभ दलितों को कैसे मिलेगा। ये सब छलावा मात्र है। आज भी उत्तर प्रदेश में आरक्षण का कोई कानून नहीं है।

अवधेश वर्मा कहते हैं कि भाजपा के जो नेता निर्मल हो या कोई अन्य,यदि ये कह रहा है कि मोदी ने किया या किसी ने किया। यदि सरकार दलितों की हितैषी है तो सरकार इस कानून को पास करें। साथ ही सरकार हमारे दलित समाज के लोगों को उनका हक दे दे।

इसके साथ ही केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए अवधेश वर्मा ने कहा मनमोहन की सरकार द्वारा पद्दोन्निती में आरक्षण सम्बन्धी 117वां संशोधन बिल राज्यसभा से पास होकर मोदी सरकार में पेडिंग है। यदि वह दलित हितैषी है तो वह इसको भी पास करें।

फोटोः फाइल

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