लखनऊ।। प्रदेश में शिवपाल यादव अपनी ताकत को लगातार बढ़ाते नजर आ रहे हैं। आलम ये यह है कि उनकी बढ़ती ताकत की वजह से अखिलेश यादव को अब अपने चाचा के कहर से बचना मुश्किल होता दिखायी दे रहा है। इसका सबसे कारण सबसे बड़ा है शिवपाल यादव की नई प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया),जो लगातार सपा में सेंधमारी कर रही है। हाल के दिनों से सपा से कर्ई जाने-माने नेताओं ने अखिलेश से किनारा करके शिवपाल का दामन थाम लिया है। हर दिन यह खबर आम होती है कि आज फला नेता शिवपाल यादव की पार्टी शामिल हो गया। अब अखिलेश खुद भी अपने कुनबे को बचाने के लिये नई रणनीति बनाते दिख रहे हैं।
उधर शिवपाल यादव ने भले ही सपा के लिये परेशानी पैदा की हो लेकिन वह अब भी साथ मिलकर चुनाव लडऩा चाहते हैं। दो दिन पूर्व उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर उन्हें सम्मानजनक सीट मिले तो वह सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। इसके साथ उन्होंने एक और नया खुलासा करते हुए बताया कि दो साल तक संबंध बनाने का प्रयास किया लेकिन अखिलेश की बेरूखी से उन्होंने सपा से किनारा किया है। उन्होंने कहा कि जब सम्मान नहीं मिला तो नई पार्टी बनाना पड़ा।
उन्होंने दावा किया है कि उनकी पार्टी में सपा के आलावा भी अन्य दलों के नेताओं को शामिल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी ताकत से बीजेपी को तगड़ा नुकसान होगा। अब यह देखना होगा कि शिवपाल के बढ़ते कद के आगे सपा का क्या हाल होता है। अखिलेश को अब अपनी पार्टी को संभाले रखने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
हालाँकि अब भी पुराने समाजवादी नेताओं को ये उम्मीद है कि चुनाव में चाचा-भतीजा साथ-साथ होंगे। वहीँ पार्टी के एक तबके का कहना है कि अखिलेश यादव ही नहीं अब शिवपाल यादव भी काफी आगे निकल चुके हैं। ऐसे अब दोनों में समझौते की कोई गुंजाइश नहीं जान पड़ती है।