लखनऊ. उत्तर प्रदेश में कैराना और नूरपुर उपचुनाव में बीजेपी का मात देने के बाद SP, BSP, RLD और कांग्रेस खेमे में जश्न का माहौल है। इस महागठबंधन ने अगले साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए रास्ता साफ कर दिया है।
इस महागठबंधन की अहम कड़ी बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती की तरफ से अभी तक कोई टिप्पणी नहीं आई है। मायावती की इस खामोशी के पीछे अभी तक अलग-अलग कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन असल वजह अब निकलकर सामने आई है।
सूत्रों के मुताबिक मायावती की इस चुप्पी में एक गहरा सियासी संदेश छिपा है। मायावती अपनी खामोशी के जरिए महागठबंधन में BSP को अधिक सीटें देने का संकेत दे रही हैं।
जानकारी के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बनने वाले महागठबंधन में मायावती यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 40 सीटें BSP के लिए मांग सकती हैं। पिछले दिनों लखनऊ में आयोजित पार्टी कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन में मायावती ने कहा था कि महागठबंधन में अगर उन्हें सम्मानजनक सीटें ना मिलीं तो वो अकेले चुनाव मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं।
वहीं मायावती के इस बयान के जवाब में SP अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, ‘समाजवादी लोग सम्मान देने में हमेशा आगे रहते हैं, उन्हें पूरा सम्मान दिया जाएगा। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए BSP के साथ गठबंधन जरूर होगा।’ अखिलेश यादव के इस बयान के बाद चर्चा है कि महागठबंधन में मायावती की भूमिका बेहद अहम रहने वाली है।
सियासी जानकारों का भी कहना है कि गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में विपक्ष की जीत में निर्णायक साबित हुए दलित वोटों के बाद महागठबंधन में मायावती का कद बाकी दलों के मुकाबले बढ़ा है। ऐसे में अखिलेश महागठबंधन में सीटों को लेकर खींचतान के हालातों से बचना चाहेंगे।
हालांकि इससे पहले चर्चा थी कि महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला 2014 के लोकसभा चुनावों के आधार पर तय होगा। इस फॉर्मूले के तहत 2014 के लोकसभा चुनाव में जो दल, जिस लोकसभा सीट पर दूसरे नंबर पर रहा था, वह सीट उसी दल के खाते में जाएगी। इस हिसाब से मायावती को महागठबंधन में 80 में से 34 सीटें मिल रहीं थी, जबकि SP को 31 सीटें मिल रहीं थी।
अब पूरे यूपी में कैराना जैसी एकजुटता दिखाने के लिए महागठबंधन में RLD और कांग्रेस के आने से मायावती की मांग दूसरे दलों के लिए परेशानी पैदा कर सकती है।