नई दिल्ली ।। इसरो चंद्रयाऩ-2 लैंडर विक्रम से संपर्क स्थापित करने को लेकर पिछले पांच दिनों से निरंतर प्रयासरत है। लेकिन अभी तक ISROं को इसमें सफलता नहीं मिली है।
ISRO प्रमुख डॉ. के. सिवन ने बताया कि विक्रम से संपर्क जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। अगले 14 दिनों तक उम्मीद जिंदा है। ऐसा इसलिए कि सिर्फ 14 दिनों तक ही विक्रम लैन्डर का जीवन है।
अब इस बात को लेकर विश्व भर में चर्चा है कि क्या ISRO ने सबकुछ जानते हुए भी सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर बड़ी गलती की। इस मुद्दे पर ISRO ने अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
ये प्रश्न इसलिए उठ खड़ा हुआ है कि इजराइल ने भी इसी तरह की बैरेशीट अंतरिक्षयान पर काम किया था। इस यान को स्पेस आईएल और इसराइल एरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) ने मिलकर बनाया था। इसे चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैन्डिंग कराने की कोशिश की गई थी लेकिन ये क्रैश हो गया था। इसका भी ग्राउंड स्टेशन से संपर्क टूट गया था।
इस घटना के बाद इजराइल़ भी मून पर सॉफ्ट लैंडिंग के मामले में रूस, अमेरिका और चीन की श्रेणी में आने से चूक गया था। इस बार भारत चूक गया। भारतीय प्रधानमंत्री ने नेतन्याहू की तर्ज पर ही कहा कि विज्ञान में असफलता जैसी कोई चीज नहीं होती है। हर प्रयोग से कुछ न कुछ सीख मिलती है।
बता दें कि ISRO ने कहा था कि चंद्रयाऩ-2 के ऑर्बिटर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का अंतिम 15 मिनट में कुछ भी हो सकता है। ISRO की ओर से कहा था कि सॉफ्ट लैंडिंग एक नाजुक मसला है। हमें लैंडर विक्रम की स्पीड को उस समय नियंत्रित रखना होगा। संभवत: इजराइल की तरह भारत का ISRO भी आखिरी वक्त में वही चूक कर बैठा।