इंसानों के जीवन जीने की अवधि बढी- शोध

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पहले की तुलना में इंसानों की जीवन जीने की अवधि बढ़ गई है, जिसके बाद अब हमारी आने वाली हर जेनरेशन पिछली जेनरेशन से 3 साल ज्यादा जी रही है। हाल ही में आए एक ताजे अध्ययन में यह दावा किया गया है। पिछले 50 सालों के अनुमानित जीवनकाल के डेटा की जांच का रहें अमेरिका के स्टैन्फोर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि वैसे लोग जो 65 साल की उम्र तक जीवित रह जाते हैं, वे लोग अपने माता-पिता की तुलना में ज्यादा लंबा जीवन जीते हैं।

हालांकि लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी अनुमातिक जीवन काल बढ़ने का मतलब यह नहीं है कि लोगों का जीवन अच्छी सेहत के बीच गुजर रहा है। लैन्सेट की एक स्टडी जिसमें साल 2017 के डेटा को दिखाया गया था, के अनुसार हेल्थ केयर में हुई वृद्धि के बावजूद लोगों के स्वास्थ्य में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। लोगों की जीवन जीने की उम्र जरूर बढ़ गई हो, लेकिन उनकी यह बची हुई जिंदगी खराब सेहत के बीच ही गुजरती है।

एक आंकड़े से इसे समझ सकते हैं कि साल 2017 में ग्लोबल लाइफ एक्सपेक्टेंसी, जहां 73 साल थी, वहीं इसमें से औसत हेल्दी लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी स्वस्थ जीवन जीने की अवधि सिर्फ 63 साल है। इसका मतलब है कि लोगों का 10 साल का जीवन खराब सेहत के बीच गुजर रहा है।

साल 1990 की तुलना में साल 2017 में लोगों के स्वस्थ जीवन जीने की अवधि में 6 साल 3 महीने की बढ़ोतरी हुई है। साल 1990 में महिलाओं का स्वस्थ जीवनकाल जहां 50 साल था, वहीं 2017 में यह बढ़कर 59 साल हो गया। जबकि पुरुषों के मामले में साल 1990 में जहां पुरुषों की हेल्दी लाइफ एक्सपेक्टेंसी 51 साल थी, वह 2017 में बढ़कर 59 साल हो गई।

इसी तरह साल 2017 में हेल्दी लाइफ एक्सपेक्टेंसी के मामले में सिंगापुर पहले नंबर पर था, जबकि सेंट्रल अफ्रीका रिपब्लिक आखिरी नंबर पर। इसके अलावा 1990 से 2017 के बीच छूआछूत से फैलने वाली बीमारी और नवजात शिशु से संबंधी बीमारियों के मामलों में 41 प्रतिशत की कमी हुई है, जबकि बगैर छूआछूत की बीमारियों में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। ऐसे ही भारतीय आबादी की बात करें, तो साल 1990 की तुलना में 2017 में भारत के लोग अच्छी सेहत के साथ 10 साल ज्यादा जी रहे हैं।

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