लखनऊ।। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) की महाप्रबंधक मानव संसाधन सुधा यादव ने संविदा पर कार्यरत उन कंसलटेंट की पत्नियों की सैलरी में बेतहाशा इजाफा पर अगले आदेश तक रोक लगा दिया है। बीते दिनों एकाएक जिनकी सैलरियों में आनन फानन में बेतहाशा इजाफा कर दिया गया था। उनकी सैलरी पहले से दोगुनी या डेढ गुनी बढाई गई थी। जबकि नियमों के मुताबिक संविदा कर्मियों की सैलरी में एक साल की सेवा पूरी होने पर 5 फीसदी ही बढोत्तरी की जा सकती है।
upkiran.org में खबर प्रकाशित होने के बाद मिशन मुख्यालय में हड़कम्प मच गया। चहेतों को रेवड़ी बांटने के लिए किए गए आदेश में अपनी गर्दन फंसती देख अफसरों ने मानदेय बढाने संबंधी आदेश की समीक्षा का निर्णय लिया और 13 अप्रैल को एक नया आदेश जारी कर 27 मार्च को मानेदय बढाने संबंधी जारी पुराने आदेश को स्थगित कर दिया। अब अफसर पूर्व में जारी आदेश की समीक्षा करेंगे।
सैलरी रेशनलाइजेशन की बैठक में इन सात पदों के वेतन के संबंध में हुआ था निर्णय
सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार की जारी गाइडलाइन के मुताबिक समान कार्य समान वेतन के संबंध में 20 दिसम्बर 2018 को सैलरी रेशनलाइजेशन की बैठक में जिन सात पदों के वेतन के संबंध में निर्णय लिया गया था। उनमें एएनएम, स्टाफ नर्स, लैब टेक्निशियन, फार्मासिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, काउंसलर व आयुष चिकित्साधिकारी शामिल हैं। पर बीते दिनों जिन संविदा कर्मियों की मानदेय में बढोत्तरी की गई थी। वह इनमें शामिल नहीं है। यही वजह है कि मिशन में चल रहे घपले घोटाले के इस बड़े खेल से भ्रष्टाचार की बू आ रही है। यदि इसकी उच्चस्तरीय जांच कराई जाए तो बड़े ओहदेदारों की गले फंसेगे। जानकारों के मुताबिक बसपा सरकार में हुए घोटाले की वजह से मिशन का नाम एनआरएचएम की जगह एनएचएम किया गया। इसके बावजूद मिशन में अफसरों की भ्रष्ट कार्यप्रणाली पर लगाम नहीं लग पा रही है। नियम के विपरीत चहेतों का मानदेय बढाना इसका सीधा उदाहरण है।
क्या है मामला
जब एनएचएम के तहत कार्यरत संविदा कर्मियों का मानदेय आनन फानन में बढा तो मामले ने तूल पकड़ लिया। पता चला कि NVBDCP कार्यक्रम में कंसलटेंट के पद पर कार्यरत दिव्या शिवाजी की सैलरी अचानक 22 हजार से बढकर 44 हजार हो गई। इसी तरह NELP कार्यक्रम में बीएफओ कम एडमिन आफिसर के पद पर नियुक्त संविदाकर्मी मीनाक्षी द्विवेदी की सैलरी 33 हजार से बढकर 46 हजार हो गई। आपको जानकर हैरानी होगी कि मीनाक्षी द्विवेदी ने बीते 11 मार्च को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यालय को पत्र लिखकर 10 प्रतिशत लायबिलिटी बोनस और 5 प्रतिशत मानदेय बढाने का अनुरोध किया था। इस पत्र के जवाब में महाप्रबंधक राष्ट्रीय कार्यक्रम डा अश्विनी कुमार ने संयुक्त निदेशक, कुष्ठ को पत्र लिखकर प्रस्ताव मांगा और इसके तुरंत बाद 27 मार्च को उनकी मानदेय में बेतहाशा बढोत्तरी कर दी गई। यह भी कहा गया कि यह बढोत्तरी एक जनवरी 2019 से मान्य होगी। ठीक इसी तरह कंसलटेंट के पद पर तैनात दिव्या शिवाजी का मानदेय बढाने में भी खेल हुआ।
पतियों को उच्चाधिकारियों का संरक्षण
मजे की बात है कि इन दोनों ही संविदाकर्मियों के पति NHM मुख्यालय में कंसलटेंट के पद पर कार्यरत हैं। दिव्याश्री के पति धर्मेन्द्र मानव संसाधन में कंसलटेंट के पद पर तैनात हैं। जबकि मीनाक्षी द्विवेदी के पति अभय द्विवेदी Non communicable disease में कंसलटेंट हैं। इन संविदा कर्मियों के मानदेय बढाने की कार्रवाई ने खूब तेजी पकड़ी। पर इसका असर वर्षों से मानदेय बढने की वेटिंग लिस्ट में शामिल कर्मियों के मामलों पर नहीं पड़ा। आलम यह है कि संविदा चालक भी अपने मानदेय में बढोत्तरी के लिए वर्षों से इंतजार कर रहा है। विभागीय जानकारों का कहना है कि तस्वीर साफ है उन्हीं महिलाओं के मानदेय में इजाफा हुआ है। जिनके पति मुख्यालय में जमे हैं और उन्हें उच्चाधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। मतलब जब सैंया भए कोतवाल तब डर काहे का।